ज्ञान भंडार

पंचायत चुनाव में दस साल का रोस्टर दूर की कौड़ी

acr468-5627ccbc590d7panchayat
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-हिमाचल प्रदेश : हिमाचल में ग्राम पंचायत चुनावों में दस साल का आरक्षण रोस्टर लागू ही नहीं हो सकता है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना हिमाचल सरकार अपने एक्ट में बदलाव नहीं कर सकती। बिना एक्ट और रूल्स को संशोधित किए यह अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती है। इसी कारण ग्राम पंचायतों में आगामी चुनाव के लिए पांच साल का ही आरक्षण रोस्टर जारी किया जा रहा है।

इस बारे में अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। पंचायती राज सचिव ओंकार शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। सरकार और मीडिया में समन्वय न होने के कारण प्रदेश में यह भ्रम फैला कि ग्राम पंचायत चुनाव में इस बार दस साल का रोस्टर लागू होगा। लेकिन फिलहाल यह दूर की कौड़ी है।

दरअसल प्रदेश में पंचायत चुनाव हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 और हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (निर्वाचन) नियम 1994 के अनुसार किए जाते हैं। इसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, महिला और सामान्य श्रेणी के क्रम में आरक्षण रोस्टर लगता है।

 

हर पांच साल बाद इस क्रम को रोटेट किया जाता है। पहली बार आरक्षण रोस्टर 1995 के चुनाव में लगा था। उस समय यह एससी, एसटी, ओबीसी और सामान्य श्रेणी के क्रम से लगता था। वर्ष 1995 से लेकर 2005 तक हर पांच साल बाद आरक्षण में तय नियमानुसार बदलाव होता रहा। वर्ष 2010 के चुनाव से पहले 50 फीसदी महिला आरक्षण की व्यवस्था हुई। इसी कारण 2010 में नए सिरे से एससी, एसटी, ओबीसी, सामान्य श्रेणी और महिला के क्रम से आरक्षण रोस्टर लगाया गया।

अब पांच साल बाद 2015 में फिर आरक्षण व्यवस्था बदल रही है। एक्ट में संशोधन को बीच में कभी भारत सरकार ने मंजूरी दी तो अलग बात है, वर्ना 2020 में पंचायतों की आरक्षण व्यवस्था को फिर से बदल दिया जाएगा। फिलहाल, केंद्र सरकार से जल्दी मंजूरी मिलने के आसार नहीं हैं।

 

दरअसल भारत सरकार ने सभी राज्यों की तरह हिमाचल सरकार से भी सुझाव मांगे थे कि पंचायत चुनाव में अगर आरक्षण व्यवस्था को दस साल किया जाए तो कैसा रहेगा। केंद्र को सुझाव भेजकर दस साल बाद ही बदलाव पर सहमति जताई गई है। लेकिन पंचायत राज मंत्री के बयानों से ये भ्रम फैला कि रोस्टर दस साल के लिए लागू होगा। यह मामला अभी बहुत ही प्रारंभिक अवस्था में है। इस पंचायत चुनाव में इसका लागू हो पाना संभव नहीं लग रहा है।

जब तक केंद्र से मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक हिमाचल सरकार अपने एक्ट और रूल्स को नहीं बदल सकती है। ऐसे में मौजूदा रोस्टर को केवल पांच साल के लिए जारी किया जा रहा है। दस साल का सवाल ही नहीं बनता।

 

Related Articles

Back to top button