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पटना आसरा शेल्टर होम कांड : नामचीन चेहरा है मनीषा दयाल, राजनेताओं के साथ भी अच्छे ताल्लुकात

पटना : बिहार के शेल्टर होम में दो युवतियों की मौत से बिहार में सियासत उबाल पर है। पटना के जिस शेल्टर होम में दो युवतियों की मौत हुई है, उसकी कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल का पॉलिटिकल और पुलिस कनेक्शन काफी मजबूत है। वह पटना की हाई प्रोफाइल पार्टियों का नामचीन चेहरा है और राजनेताओं के साथ भी उसके अच्छे ताल्लुकात हैं। शायद यही कारण था कि रविवार को हुई घटना के पहले जब उसी शेल्टर होम से चार लड़कियों ने भागने की कोशिश की थी तो मामले को अलग मोड़ देकर एक शख्स को गिरफ्तार करवा दिया गया। लेकिन दो युवतियों की मौत के बाद आसरा गृह को चलाने वाले एनजीओ की कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल को गिरफ्तार कर लिया गया। कहा जा रहा है कि आसरा गृह की संचालिका मनीषा दयाल ही हैं, लेकिन वह अपने आप को उस शेल्टर होम की कोषाध्यक्ष बता रही हैं। मनीषा का पॉलिटिकल कनेक्शन उसका फेसबुक प्रोफाइल बताता है, जिसमें वो कई तस्वीरों में हाई प्रोफाइल पार्टी और कार्यक्रमों में बीजेपी-जेडीयू और राजद के नेताओं के साथ नजर आ रही हैं।

मनीषा ने एनजीओ में काम करने के बाद समाजसेवा के लिये खुद का एनजीओ खोला और साथ ही राजधानी की हर छोटी-बड़ी पार्टियों का हिस्सा बनने लगींं जिससे उनका पॉलिटिकल कनेक्शन बढ़ता गया। राजीवनगर के नेपालीनगर स्थित ‘आसरा गृह’ के दो संवासिनों की मौत मामले में चार पर एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने ‘आसरा गृह’ के संचालक सचिव चिरंतन कुमार और कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल को गिरफ्तार किया है। रविवार देर रात मजिस्ट्रेट नीलू पॉल के बयान पर राजीवनगर थाने में एफआईआर की गई है।एफआईआर में चिरंतन कुमार और मनीषा दयाल के अलावा एक डॉक्टर और एएनएम का भी नाम है। दर्ज केस में बताया गया है कि संवासिनों के इलाज में लापरवाही बरती गई। पुलिस ने ‘आसरा गृह’ की कर्मी रेणु सिन्हा व अन्य दो को हिरासत में भी लिया है। उनसे भी पूछताछ की जा रही है। इधर, देर रात सीआईडी की टीम ने ‘आसरा गृह’ पहुंच कर जांच की है। वहीं डीएम और एसएसपी ने भी ‘आसरा गृह’ जाकर वहां के संवासिनों से बात की और उनका बयान लिया है। शुरुआती दौर से ही मनीषा का ग्लैमर से नजदीकी नाता रहा है। शुरू में उसने मॉडलिंग भी की। बाद में कई मॉडलिंग प्रतियोगिता करवाने में भी मनीषा का नाम सामने आया। खेल प्रतियोगिताओं में भी मनीषा की दिलचस्पी थी। मनीषा दयाल का लंबा-चौड़ा सियासी और खाकी कनेक्शन भी है। एक नेता उसके दूर के संबंधी बताये जाते हैं। जबकि पुलिस महकमे में भी मनीषा की अच्छी पहुंच है। बड़ी सिफारिश होने के कारण ही मनीषा के एनजीओ को आसरा गृह चलाने का काम मिला था।

खबर यहां तक है कि आगे भी उसे कई बड़े काम मिलने वाले थे। बड़ी पैरवी का ही असर था कि चार लड़कियों के भागने की कोशिश करने के बावजूद मनीषा के एनजीओ के ऊपर एफआईआर दर्ज नहीं की गयी थी। जबकि उस रोज भी एनजीओ की लापरवाही सामने आयी थी। मनीषा दयाल से जब पूछा गया तो उसने बताया कि शुक्रवार को हम लोग चार-साढ़े बजे थाने से होम पहुंचे। हम चार-पांच लोग दोनों संवासिनों को लेकर पीएमसीएच गये। संवासिनों को साढ़े चार-पांच बजे होम से हॉस्पिटल ले जाया गया। जबकि पीएमसीएच के रजिस्टर में 9. 26 दर्ज है। आखिर करीब पांच घंटे तक दो संवासिनें कहां थी? ‘आसरा गृह’ में प्राय: आने वाले एक डॉक्टर और एएनएम की तलाश में पटना पुलिस की विशेष टीम ने रविवार देर रात तक अलग-अलग इलाकों में छापेमारी की है। हालांकि दोनों नहीं मिले। एएनएम काफी दिन पहले से नहीं आ रही थी। इस कारण बीमार संवासिनों का इलाज नहीं हो पाया। डॉक्टर भी नहीं आते थे। वहीँ डीएम कुमार रवि ने कहा कि प्रथमदृष्टया उन्हें यह जानकारी मिली है कि दोनों संवासिनें बुखार और डायरिया से पीड़ित थीं। एकाएक दोनों की तबीयत बिगड़ी। डीएम ने कहा कि छानबीन के बाद चीजें स्पष्ट होंगी। इधर, दो संवासिनों की मौत की खबर डीएम-एसएसपी को भी सही समय पर खबर नहीं दी गयी। वहीं आसरा गृह ने भी राजीवनगर थाने की घटना की जानकारी नहीं दी। चर्चा रही कि जिन संवासिनों की मौत हुई है उन्हें पूर्व में मुजफ्फरपुर बालिका गृह से ही यहां भेजा गया था। मुजफ्फरपुर बालिका गृह से 34 लड़कियों को पटना, मोकामा और मधुबनी भेजा गया था।

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