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पवार की बात पर, शिवसेना ने कहा- BJP की भाषा बोल रहे ‘गुरुजी’

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है. विपक्षी पार्टियों में सबसे बड़े नेताओं में से एक एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने महागठबंधन और तीसरे मोर्चे को लेकर बड़ा बयान दिया, उन्होंने कहा कि ये सब 2019 चुनाव से पहले व्यवहारिक नहीं लगता है. शरद पवार के बयान पर शिवसेना ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है, और विपक्षी पार्टियों को उनसे सावधान रहने की जरूरत है.

सोमवार को शिवसेना ने सामना में लिखा कि विरोधियों को शरद पवार से सावधान रहना होगा, क्योंकि बीजेपी शरद पवार की जुबानी अपनी भाषा बुलवा रही है. सामना में लिखा कि शरद पवार बोल रहे हैं कि तीसरा मोर्चा असंभव है यही बात बीजेपी भी करती है.

सामना में लिखा है कि तो क्या शरद पवार (गुरुजी) की जुबानी बीजेपी (मोदी) कुछ कहना चाह रहे हैं. उन्होंने लिखा कि पवार जैसे नेता विरोध में हैं या भी नहीं ये देखना होगा. यानी अगर नेतृत्व उनके पास नहीं रहेगा तो तीसरा मोर्चा प्रैक्टिकल नहीं होगा.

लेख में लिखा गया है कि कांग्रेस और राहुल गांधी का क्या करें, जो इस चक्रव्यूह में अटके हैं. क्या राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकारा है, क्या पता राहुल गांधी को अलग रखकर शरद पवार भी सोच रहे हो, मोर्चा कैसे बनेगा. जो बीजेपी कहना चाहती है वह अपने विरोधियों से ही बुलवा रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने ये बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि तीसरा मोर्चा व्यवहारिक नहीं है, इसलिए क्रियान्वित नहीं हो पाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि उनके कई साथी चाहते हैं कि महागठबंधन बनना चाहिए.

और क्या बोले पवार?

पवार ने कहा कि आज के समय की जो स्थिति है वो बिल्कुल 1977 जैसी है. उस दौरान इंदिरा गांधी एक मजबूत इरादों वाली नेता थीं, आपातकाल के दौरान वहीं पीएम थीं. लेकिन तब विरोध में कोई बड़ा दल नहीं था, जनता ने ही उनके खिलाफ वोट कर दिया और कांग्रेस हार गई.

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में 2019 चुनाव को देखते हुए महागठबंधन और तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट तेज हुई है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव, केरल के मुख्यमंत्री विजयन पिनरई और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू समेत कई ऐसे नेता हैं जो तीसरे मोर्चे की अगुवाई कर रहे हैं. लेकिन इससे इतर कांग्रेस भी अपने नेतृत्व में विपक्ष को एकजुट करना चाहती है और एक महागठबंधन तैयार करना चाह रही है.

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