पहचानें अस्थमा के लक्षण, आराम मिलते ही न छोड़ें दवा
इससे मरीज का रोजाना का कार्य बाधित होता है और उसे बार-बार अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ता है। लंबे समय तक चलने वाली इस बीमारी में बार-बार सांस फूलती और सांस लेने में आवाज आती है।
यदि मरीज सही तरीके से इन्हेलर ले तो अस्थमा पर काबू पा सकता है। ये जानकारी एक होटल में हुई कार्यशाला में बृहस्पतिवार को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के हेड प्रो.सूर्यकांत ने दी।
प्रो. सूर्यकांत ने बताया कि फेफड़ों के सही कार्य न करने के कारण सांस संबंधी पुरानी बीमारी अस्थमा कहलाती है। इससे फेफड़ों की वायु नलियों में संक्रमण हो जाता है और वह संकरी हो जाती हैं।
साथ ही फेफड़ों में कई प्रकार की एलर्जी हो जाती है। जो अस्थमा का कारण बनती हैं। धूल, सर्दी, परागकण, फर, धूम्रपान और वायु प्रदूषण इस बीमारी को बढ़ाते हैं। यदि बच्चों को सुबह और रात को कफ होता है तो उसे भी अस्थमा होने की संभावना हो सकती है।
इस बीमारी के मरीज अप्रैल और मई महीने में ज्यादा आते हैं। फेफड़ों में संक्रमण, सांस लेने में दिक्कत, सांस फूलना आदि लक्षणों की शुरुआती दौर में ही जांच कराकर गंभीर स्थिति तक पहुंचने से रोका जा सकता है।