पाक का पैंतराः जाधव पर फंसे पाकिस्तान ने कहा- 3 रॉ एजेंट पकड़े
कुलभूषण जाधव मामले पर अपनी पोल खुलती देख पाकिस्तान ने नया पैंतरा अपनाया है। अपनी नई चाल में उसने दावा किया है कि भारत की खुफिया ‘एजेंसी रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग (RAW) के तीन संदिग्ध सदस्यों को पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर में पकड़ा गया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इन पर एक पुलिस स्टेशन में ब्लास्ट करने समेत कई राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। रवालाकोट में पुलिस अधिकारियों ने इन संदिग्धों को नकाब पहनाकर मीडिया के सामने पेश किया।
पकड़े गए संदिग्धों का नाम मोहम्मद खलील, इम्तियाज और रशीद बताए जा रहे हैं। इन सभी को अब्बासपुर के टरोटी गांव का रहने वाला बताया गया है। पुलिस ने बताया कि दो आरोपियों की उम्र 30-35 साल है जबकि दूसरा 20-25 साल का है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान की सेना कोर्ट की ओर से भारत के पूर्व नेवी अफसर कुलभूषण जाधव को फांसी दिए जाने का मामला गर्माया हुआ है। संभव है कि मुद्दे को भटकाने के लिए पाकिस्तान ने यह नया पैंतरा अपनाया हो। पाकिस्तान के रुख को देखते हुए भारत ने भी सभी तरह की द्विपक्षीय बातचीत पर अस्थायी तौर पर रोक दी है।
पुंछ में डीएसपी साजिद इमरान ने खलील को मुख्य संदिग्ध बताया। रिपोर्ट के मुताबिक वह नवंबर 2014 में (भारत) कश्मीर के बंदी चेचियां गांव में अपने रिश्तेदारों से मिलने आया था। यहां उसका संपर्क रॉ के अधिकारियों से हुआ जिन्होंने उसे लालच देकर अपना काम करवाने के लिए राजी कर लिया।
डीएसपी इमरान ने बताया कि खलील अपने साथ सिगरेट और (मोबाइल फोन का) मेमरी कार्ड ले जाता जिसमें पुलों, मस्जिदों, सेना और पुलिस से संबंधित तस्वीरें होती थीं।’ अधिकारी ने यह भी बताया कि आरोपी के पास से उसके नाम से रजिस्टर्ड दो ऐक्टिव सिम कार्ड भी मिले हैं जिनसे वह भारतीय अधिकारियों से बात करता था। वह पैसे के अलावा भारतीय शराब भी लेकर आता था जिसे बाद में वह इलाके के लोगों को बेच देता था।
DSP ने बताया कि पिछले साल 27 सितंबर को अब्बासपुर के पुलिस स्टेशन के बाहर बम धमाका करने के लिए इन्होंने ही आईईडी प्लांट किया था जिसे ये लोग एलओसी के उस पार से लाए थे। अधिकारी ने यह भी बताया कि खलील को पिछले साल (पाकिस्तान की) किसी भी कानून प्रवर्तन एजेंसी के आगे बम ब्लास्ट करने के लिए पांच लाख रुपये देने का ऑफर दिया गया था।
इस रकम में से डेढ़ लाख रुपये खलील, और 50-50 हजार रुपये इम्तियाज और रशीद को देना तय हुआ था। DSP ने कहा, ‘उन्होंने पुलिस स्टेशन को बतौर सॉफ्ट टारगेट चुना, हालांकि धमाके की वजह से इमारत को तो नुकसान हुआ लेकिन किसी की मौत नहीं हुई।’ DSP इमरान ने बताया कि भारत के अधिकारियों को उनके किए काम के बारे में अखबारों से पता चला। काम खत्म करने के बाद जब खलील उनके पास पैसे लेने गया तो उसे कोई नहीं मिला।