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पाक की नापाक हरकत, गांवों, सीमा चौकियों को निशाना बनाया

Napak Harakatजम्मू।  पाकिस्तानी सेना अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रही है। पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू कश्मीर के कठुआ और सांबा जिलों के सीमावर्ती इलाकों में बीती रात से की गई अपनी गोलाबारी में भारतीय गांवों और 13 सीमा चौकियों को निशाना बनाया, जिसमें छह असैन्य नागरिक घायल हो गए। नववर्ष की पूर्व संध्या को शुरू संघर्षविराम उल्लंघन की ताजा कड़ी में सीमा सुरक्षाबल [बीएसएफ] का एक जवान शहीद हो गया है और सात अन्य लोग घायल हुए हैं। भारत की जवाबी कार्रवाई में कल तक पांच पाकिस्तानी रेंजर मारे जा चुके हैं। बीएसएफ के महानिरीक्षक राकेश शर्मा ने बताया कि पाकिस्तानी सैनिकों ने बीती रात साढ़े नौ बजे से सांबा और कठुआ जिलों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित चौकियों तथा असैनिक इलाकों में भारी गोलीबारी की और मोर्टार दागने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा कि बीएसएफ के जवानों ने माकूल जवाब दिया जिससे दोनों ओर से गोलीबारी होने लगी जो आज तड़के तीन बजे बंद हुई। शर्मा ने बताया कि पाकिस्तान ने आज सुबह सात बजे से फिर असैनिक इलाकों को निशाना बनाते हुए गोलीबारी की और मोर्टार दागने शुरू कर दिए।
शर्मा ने बताया कि कठुआ जिले के सांबा और हीरानगर उप सेक्टरों के सभी तीन बटालियन क्षेत्रों में स्थित चौकियों को निशाना बनाया गया। अधिकारियों ने बताया कि कठुआ जिले के नौचक गांव में दो महिलाओं सहित चार लोग घायल हो गए। 300 लोगों को दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया है। सांबा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनिल मगोत्रा ने बताया कि सांबा में बांगलार सीमावर्ती गांव में दो लोग घायल हो गए। उन्होंने बताया कि दोनों ओर से गोलीबारी हुई। घायलों को अस्पताल भेजा गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि लोगों को निकालने के लिए बसें तैयार रखी गई हैं और हम गोलीबारी तथा गोलाबारी रूकने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिविरों में भेजा जा सके। उन्होंने कहा कि लोगों ने बंकरों में शरण ले रखी है और बाहर नहीं आ रहे हैं। कठुआ के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि हीरानगर इलाके में गोलीबारी और गोलाबारी में घायल हुए चार लोगों में से दो महिलाएं हैं। उन्होंने कहा, 300 लोगों को निकाला जा चुका है। यदि जरूरत हुई तो अन्य को भी अन्यत्र भेजा जा सकता है। क्षेत्र में स्थिति को देखते हुए हीरानगर में एंबुलेंस और डॉक्टर तैयार रखे गए हैं तथा तीन इमारतों को राहत शिविरों के रूप में कार्यान्वित किया गया है। एजेंसी

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