उत्तर प्रदेश

पीएचडी कर चुके युवाओं को यूजीसी के एमफिल ने दी बड़ी राहत

student-shimla_1457446802एजेन्सी/ यूजीसी के एमफिल और पीएचडी डिग्री देने के लिए तय नए नियमों ने वर्ष 2009 से पूर्व पीएचडी कर चुके डिग्री धारकों के लिए बड़ी राहत दी है। नए नियमों के मुताबिक 11 जुलाई 2009 से पूर्व संबंधित पीएचडी डिग्री प्रदान करने वाले संस्थानों के आर्डिनेंस/बायलॉज और नियमों को पूरा करने पर असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए नेट/सेट की छूट जारी रहेगी।

इस समय से पूर्व पीएचडी पूरी कर चुके अभ्यर्थियों को नेट सेट की न्यूनतम पात्रता शर्त पूरी करने की अनिवार्यता नहीं होगी। यूजीसी के इन नए नियमों और पात्रता की शर्तों से विश्वविद्यालय में वर्ष 2009 से पहले के लटके शिक्षक भर्ती के मामले की अड़चन हटने की उम्मीद जताई जा रही है।

हालांकि विश्वविद्यालय ने अभी तक इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। नए मानकों के मुताबिक 11 जुलाई 2009 से पहले पीएचडी डिग्री प्राप्त अभ्यर्थी असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए तो ही पात्र होंगे, यदि वे पीएचडी के लिए आवश्यक अन्य शर्तें पूरी करते हो।
नई अधिसूचना के अनुसार ये योग्यताएं होना जरूरी

नए मानकों की अधिसूचना के मुताबिक उनके लिए तय अन्य शर्तों में अभ्यर्थी की पीएचडी डिग्री रेगुलर मोड में हुई हो

नए मानकों की अधिसूचना के मुताबिक उनके लिए तय अन्य शर्तों में अभ्यर्थी की पीएचडी डिग्री रेगुलर मोड में हुई हो, पीएचडी थीसेज कम से कम बाहरी दो एग्जामिनर ने एग्जामिन किए हों। पीएचडी का ओपन वायवा हुआ हो, पीएचडी के विषय में से ही दो रिसर्च पब्लिकेशन हुआ हो, जिनमें एक जर्नल में हो।

उसने कम से कम दो सेमीनार और सम्मेलन में अपनी पीएचडी पर प्रेजेंटेशन दी हो। जिसे कम से कम वाइस चांसलर या फिर प्रो वाइस चांसलर डीन अकादमिक मामले से सत्यापित किया गया हो। इसमें महिला और 40 फीसदी तक अपंगता से ग्रस्त छात्र व शोधकर्ता को एमफिल पूरी करने को एक साल और पीएचडी के लिए दो वर्ष का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है।

वहीं महिला शोधार्थी को उसके कार्यकाल में एक बार 240 दिनों की मातृत्व अवकाश या बाल देखभाल अवकाश दिए जाने का भी प्रावधान है। महिला शोधार्थी को अपनी एमफिल और पीएचडी को पूरा करने के लिए विवाह हो जाने की स्थिति में जरूरत पड़ने पर एक यूनिवर्सिटी से दूसरी यूनिवर्सिटी को रिसर्च डाटा को ट्रांसफर करने की सुविधा भी दी है। इसमें पिछले विश्वविद्यालय या संस्थान को उस समय तक किए गए कार्य का श्रेय मिलेगा।

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