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प्रधानमंत्री मोदी का नोट वार

800x480_image60111279अनामी शरण बबल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी सचमुच में एक मैजिक का नाम है। एक साथ कई काम को इस तरह अंजाम देते हैं कि बड़े-बड़े दिग्गज टाइम मैनेजमेंट के एक्सपर्ट भी कुछ समझ नहीं पाते। मीडिया वार को खत्म करके सुबह सेनाध्यक्षों से मुलाकात की तो देश का पारा चढ़ गया। मगर शाम-शाम तक पूरे देश को सांसत में डाल कालाधन के खिलाफ सिक्सर देमारा। पाक, आतंकवाद, कालाधन, जमाखोरी, बेनामी दौलत के खिलाफ दमदार वार से सब स्तब्ध। लोगों में नाराजगी है। परेशान हैं। विपक्ष है। मगर अंतत: मोदी की जय-जय कार ही अवाक है। इस फैसले को लोग भारत द्वारा पाकिस्तान पर हमला करने जैसा सख्त और आक्रामक माना है। इस तरह मोदी के मैजिक वार के आगे से सब लाचार हैं।

इस सुपर से केवल प्रभावित लोग ही इनको जी भर कोसने मे लगे हैं।
ठंड में गरमागरम संभव : पीएम के नोट वार से पूरे देश का तापमान गरम हो गया है। चाहे-अनचाहे लोग भी मुखर हो गए हैं। मगर नोटवार के अलावा इस बार जाडे़ में भारत-पाक वार की भी आशंकाएं प्रबल हो गयी है। नोटवार से ठीक पहले अपने सेनाध्यक्षों से मुलाकात और सीमा पर हलचल तेज करके लगता है कि भारत को भी इस बार कुछ बम-पटाखा, गोला-बारूद चलाने का इरादा है। यानी आने वाले माह मे भले ही ठंड बढ़ेगी, मगर देश का पारा गरम ही रहेगा।
अबतक का सबसे गरम साल
माहौल और तापमान चाहे जैसा भी हो मगर प्राकृतिक तौर पर जलवायु परिवर्तन का असर इस बार सामने हैं। साल 2016 अब तक का सबसे गरम साल हो सकता है। लगातार ग्लेशियर पिघल रहे हैं। उत्तरी गोलार्ध में बर्फ पतली होती जा रही है। ग्रीन हाऊस गैसों से प्राकृतिक वातावरण इडियट तो हो ही गया है। यानी पर्यावरण के संग हो रहे बैड गेम के चलते अब मौसम डार्लिंग का नेचर भी विनाश के फ्यूचर को करीब दर्शाता रहा है। यानी हमें इस पर क्या गमगीन होना है या कहीं पार्टी देना चाहिए कि संसार के सबसे गरम साल के हमलोग चश्मदीद है।
सिर्फ राष्ट्रपति नहीं है ट्रंप : अमेरिका के लिए डोनाल्ड ट्रंप कैसे राष्ट्रपति साबित होंगे, यह कल की बात है। मगर बिदांस और खुले विचारों वालों, कहीं भी, कभी भी, किसी की परवाह किए बगैर कुछ बोल देगा इनकी फितरत है। नाना प्रकार की रंगीन कहानियों के नायक ट्रंप राष्ट्रपति से पहले एक मल्टीनेशनल बिजनेस भी, मैन भी है। खासकर रियल एस्टेट में इनकी धाक ग्लोबल है। भारत के कई शहरों में बतौर एक बिल्डर की तरह दर्जनों आवासीय कारोबार में अपनी पूंजीनिवेश कर चुके हैं। लगता है कि अपनी पूंजी की रक्षा-सुरक्षा के लिए ही सही ट्रंप महोदय शायद भारतीय हितों के खिलाफ सख्ती नहीं दिखा पाएंगे। यानी बिजनेस मैन ट्रंप से भारत को ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं।
खुद बीमार है स्वास्थ विभाग : देश के ज्यादातर राज्यों के स्वास्थ्य विभाग का हाल बुरा है। दूसरों का इलाज करने से ज्यादा जरूरत विभाग को अपना मर्ज दूर करने की है। ताजा मामला झारखंड से है। यहां के तेजतर्रार मुख्यमंत्री यह देखकर दंग रह गए कि केवल 29 प्रतिशत रकम ही विभाग खर्च कर सकी। विभाग की लापरवाही देखकर सीएम बिफर पडे़ और सख्त निर्देश दी कि अपनी बीमारी दूर करो। यानी स्वास्थ्य विभाग की बीमारी का इलाज अब मुख्यमंत्री ही करेंगे।
करोड़पतियों की समाजवादी : जमीन से उठकर आसमान तक सफर करने वाले नेताजी की पार्टी एसपी करोड़पतियों की पार्टी है। हालांकि आय से अधिक संपति के मामले में तो खुद नेताजी भी है, मगर 55 मंत्रियों में 40 की सपंति करोड़ों में है। तमाम विधायकों को भी जोड़ के तो यह आंकड़ा 100 से भी अधिक हो जाती है। करोड़पतियों से सजी-धजी पार्टी के समाजवादी चेहरे को देखकर सचमुच असली समाजवादी नेताओं को अब अफसोस होता कि जिस समाजवाद के लिए जीवन भर अभाव को अपना बनाया वही औजार करोड़पतियों की खेल बन गयी।
फिर परास्त हुआ पहाड़ : गया बिहार के दशरथ मांझी ने अकेलेे 17 साल में पहाड़ की दो फाड़कर डाला। जिससे लोगों को 50 किलोमीटर की दूरी 15 किलोमीटर में सिमट गयी। नया मिशाल उदयपुर से है। जहां को टडा ब्लाक के मेखण गांव में 75 लोगों ने लगातार कई माह तक लगातार सामूहिक श्रमदान करके एक पहाड़ी के बीच से रास्ता निकाल दिया। दो घंटे की लंबी दूरी अब 15 मिनट की हो गयी। पहाड़ी रास्ते से गुजरते हुए हर साल दर्जनों लोग बेमौत मारे जाते थे। कुंभकर्णी सरकार की नींद तो शायद अब टूटे, ताकि नागरिकों की मेहनत पर एक स्थायी सड़क बन जाए।
वयस्क सिनेमा पर पहलाज दर्शन : फिल्म सेंसर बोर्ड को कोई पसंद नहीं करता, खासकर अपनी अकड़, बैद्धिकता और प्रभाव वाले निर्माताओं को बोर्ड का हस्तक्षेप नागवार लगता है। वयस्क सिनेमा का भी अपना एक अनुशासन और सीमा है। मगर इससे नाराज निर्माता पहलाज निहलानी का मत है कि वयस्क फिल्मों के साथ काट-छांट नहीं होनी चाहिए। वाह निहलानीजी फिर एकदम ब्लू फिल्म ही बनाकर बाजार में फेंकना चाहते हैं क्या? दूसरों को सलाह देखने से पहले आप यह भी विचार करें कि आपके घर में भी बाल-बच्चे, औरतें हैं। क्या उनको यह देखना रास आएगा?

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