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प्रशांत द्वीप देश भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के लिए महत्वपूर्ण: राष्ट्रपति

pranbनई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि प्रशांत द्वीप देशों के साथ आर्थिक संबंध और साझेदारी भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति (यानी पूर्वी देशों से सहयोग की नीति) के लिए काफी मायने रखती है। भारत ने इन राष्ट्रों के साथ स्वास्थ्य मामलों सहित अन्य कई क्षेत्रों में भी साझेदारी के विस्तार का प्रस्ताव रखा है। मुखर्जी ने भारत-प्रशांत द्वीप समूह देशों के मंच (एफआईपीआईसी) के दूसरे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रशांत द्वीप देशों के राष्ट्रध्यक्षों को यहां राष्ट्रपति भवन में संबोधित करते हुए कहा कि भले ही भारत, प्रशांत द्वीप देशों से महासागर के कारण अलग हो लेकिन उसे उनके साथ अपनी करीबी मित्रता की लंबी परंपरा पर गर्व है। भारत सरकार प्रशांत द्वीप देशों के साथ अपने मित्रता के रिश्ते को काफी महत्व देती है।
मुखर्जी ने कहा, ‘‘जिस तरह से आपके राष्ट्रों ने भारतीय प्रवासियों को दूर देशों में सुरक्षित और सहज महसूस करवाया है, उसकी हम विशेष रूप से सराहना करते हैं। हमारा मानना है कि आपके देशों के साथ आर्थिक संबंध और साझेदारी भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के विस्तार के मुख्य कारक हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत इस साझेदारी को उन क्षेत्रों में बढ़ाना चाहता है जहां उनके हित एक समान हों। इनमें मानव संसाधन विकास जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
एफआईपीआईसी के 14 प्रशांत द्वीप समूह देश में फिजी, कुक द्वीप समूह, किरिबाती, मार्शल द्वीप समूह, माइक्रोनेशिया, नौरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन द्वीप समूह, टोंगा, तुलाऊ एवं वानुअतु समूह शामिल हैं।

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