दस्तक टाइम्स/एजेंसी- नई दिल्ली: एक नए अध्ययन से पता लगा है कि समय से पहले जन्म दिमाग से जुड़ने वाले संपर्क जैसे ध्यान, बातचीत और भावनाएं आदि को कमजोर बना सकता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल (नर्वस सिस्टम से संबंधित) और साइकीऐट्रिक (मनोरोग) संबंधी विकार बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन के चाइल्ड साइकीऐट्रीस के असिसटेंट प्रोफेसर, प्रमुख रिसर्चर सिंथिया रोजर्स ने बाताया कि, “पूरे समय में जन्म लेने वाले शिशुओं के मुकाबले, जल्दी जन्म लेने वाले शिशुओं के मस्तिष्क में सफेद पदार्थ वाले क्षेत्र और असमान्यताओं में काफी अंतर पाया गया।”
दिमाग में सफेद पदार्थ वाला एरिया एक्सोन से बनता है, जो कि मस्तिष्क के क्षेत्रों को नेटवर्क के रूप में जोड़ता है। शोधकर्ताओं ने कार्यात्मक रूप से एमआरआई और डीटीआई के जरिए समय पर हुए 58 बच्चों और दस हफ्ते पहले जन्में 76 शिशुओं की तुलना की।
पूरे समय पर हुआ प्रत्येक शिशु का उसके पैदा होने के दूसरे और तीसरे दिन स्कैन किया गया। इस बीच, पहले से जन्में बच्चों का भी उनकी नियत तारीख के कुछ दिन बाद ब्रेन स्कैन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि ब्रेन के कुछ प्रमुख कनेक्शन- जो कि ध्यान, संवाद और भावनाओं में शामिल थे, पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में कमजोर थे।
रोजर्स ने बताया कि, “जैसे-जैसे बच्चा बढ़ा होता है, मस्तिष्क की यह असमान्यताएं परेशानियों को बढ़ा सकती हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लाइफ के दौरान दिमाग बहुत जल्द ही प्लास्टिक बन जाता है और समय से पहले हस्तक्षेप करके उसे संशोधित किया जा सकता है।”
शिकागो में हुई सोसयटी फॉर न्यूरोसाइंस की वार्षिक मीटिंग के दौरान न्यूरोसाइंस 2015 में यह निष्कर्ष पेश किए गए थे।