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फिर बिड मंगा सकते हैं मोनेट इस्पात और ज्योति स्ट्रक्चर्स के लेंडर्स

मुंबई (एजेंसी)। मोनेट इस्पात और ज्योति स्ट्रक्चर्स के लेंडर्स इनके एसेट्स के लिए दूसरे राउंड की बिडिंग कराने जा रहे हैं। दोनों कंपनियों के एसेट्स के फाइनल बिडिंग स्टेज पर एक ही बिडर बचा रह गया था। कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स के पास वक्त है इसलिए क्रेडिटर्स चाहते हैं कि बायर्स ढूंढने के लिए एक बार और बाजार खंगालें। मुमकिन है कि तेजी के इस माहौल में बेहतर दाम मिल जाए। पहले खबर थी कि आयन कैपिटल पार्टर्स और जेएसडब्ल्यू का कंसॉर्शियम मोनेट इस्पात की बिडिंग में अकेला बचा था। इसके अलावा ज्योति स्ट्रक्चर्स की अकेली बिडिंग शरद सांघी की अगुवाई में कुछ प्रोफेशनल्स की तरफ से आई थी। ये सांघी वही हैं,जिन्होंने अपनी कंपनी नेटमैजिक जापान के टेलीकॉम दिग्गज एनटीटी कम्युनिकेशन के हाथों पांच साल पहले बेच दी थी।फिर बिड मंगा सकते हैं मोनेट इस्पात और ज्योति स्ट्रक्चर्स के लेंडर्स

एक बैंकर ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा,कानून में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि अगर सिंगल बिडर हो तो हमें रीबिड कराना होगा,लेकिन हमारे पास वक्त है तो हम पूरी सावधानी बरतना चाहते हैं ताकि आगे चलकर बिडर्स के सेलेक्शन को लेकर सवाल नहीं उठने लगें।’ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस साल जून में दोनों ही स्ट्रेस्ड कंपनियों को बैंकरप्सी प्रोसेस के लिए नॉमिनेट किया था। इन दोनों ही कंपनियों की बिडिंग में शामिल कई हाई प्रोफाइल बायर्स अंतिम मौके पर मैदान छोड़ गए। टाटा स्टील, वेदांता ग्रुप, टीपीजी, ब्लैकस्टोन, इडलवाइज, श्याम मेटालिक्स और हांगकांग की एसएसजी कैपिटल मोनेट इस्पात में दिलचस्पी तो दिखा रहे थे लेकिन इन्होंने अंतिम बिडिंग नहीं दी।

इसी तरह शापूरजी पालोनजी ग्रुप,कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन और आरपीजी की केईसी इंटरनेशनल सहित कई बिडर्स ने शुरुआत में ज्योति स्ट्रक्चर्स के लिए दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन इंटरेस्ट सबमिशन के अंतिम दिन सिर्फ एक ही बिडर सामने आया। मोनेट पर लेंडर्स का 10300 करोड़ रुपये का कर्ज है जबकि ज्योति स्ट्रक्चर्स पर बैंकों की 7000 करोड़ रुपये की उधारी है। दूसरे बैंकर ने कहा, ‘मोनेट इस्पात और ज्योति स्ट्रक्चर्स के कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स रीबिडिंग पर अंतिम फैसला लेने के लिए इसी हफ्ते मीटिंग करने वाले हैं। हमें बहुत सावधानी बरतनी होगी, व्यापक ड्श्यू डिलिजेंस करना होगा ताकि हम पता कर सकें कि इंटरेस्टेड पार्टियां का इन कंपनियों के साथ प्रमोटरों से रिश्ता अगर हो तो दूर का ही हो।’

आरबीआई ने जून में कुल दो लाख करोड़ रुपये बकाया वाली 12 कंपनियों को बैंकरप्सी प्रोसेस के लिए शॉर्टलिस्ट किया था। अगस्त में 28 डिफॉल्टर्स की दूसरी लिस्ट जारी की गई जिनका डेट रिजॉल्यूशन 13 दिसंबर से पहले शुरू किया जाना था। ऐसा नहीं होने पर 31 दिसंबर तक इन कंपनियों का नाम एनसीएलटी के पास भेजना तय किया गया था। लेकिन छह महीने बाद भी कोई रिजॉल्यूशन नहीं हुआ है। एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट स्टेज पर तो डिस्ट्रेस्ड एसेट्स के लिए बैंकर्स को बहुत सी कंपनियां संपर्क करती हैं लेकिन फाइनल बाइंडिंग स्टेज पर बहुत कम बिडर रह जाते हैं। लेंडर्स इस बात से बड़े फिक्रमंद हैं कि इंटरेस्टेड पार्टीज की बिड वैल्यूएशन बाइंडिंग स्टेज में शुरुआत के मुकाबले बहुत कम हो जाती है।

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