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फिर मचा गधे पर घमासान, गुजरात टूरिजम ने कहा- आइए रेस लगाइए

अहमदाबाद। युपी विधानसभा चुनाव के समय अखिलेश यादव ने गुजरात टूरिजम के विज्ञापन को लेकर विरोधियों पर निशाना साधा था। उन्होंने गुजरात के गधे का जिक्र करके विरोधियों को आड़े हाथों लिया था। जिसके बाद गधा चर्चा का विषय बन गया था। चुनाव ख़त्म होने के साथ ही ये मामला शांत होने लगा था। लेकिन अब एक बार फिर से इस लुप्तप्राय जानवर के प्रचार को लेकर विभाग निशाने पर है। इस नए विज्ञापन में कहा गया है, ‘आइए और कच्छ के छोटे रण में जंगली गधे के साथ रेस लगाइए।’

फिर मचा गधे पर घमासान, गुजरात टूरिजम ने कहा- आइए रेस लगाइए

गुजरात के गधे पर घमासान

गुजरात टूरिजम के MD एन श्रीवास्तव ने कहा, ‘कम रेस विद, केवल एक टैग लाइन है। अब हमें अहसास है कि इस लाइन को गलत अर्थों में भी लिया जा सकता है। हम इस विज्ञापन की समीक्षा करेंगे और जरूरी बदलाव भी करेंगे।’

ऐसा है विज्ञापन

इस विज्ञापन में एक सुपर-चार्ज्ड SUV को गधों के झुंड का पीछा करते हुए दिखाया गया है, जो कि एक दंडनीय अपराध है। गुजरात में जंगली गधों की संख्या लगभग 4,451 है। नैशन बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के सदस्य रहे दिव्य भानु सिंह ने बताया, ‘विज्ञापन में इस्तेमाल किया गया ‘रेस’ शब्द गलत संदेश देता है।’ एशियाई जंगली गधा एक लुप्तप्राय जानवर है जो कि केवल गुजरात में पाया जाता है। सिंह ने कहा, ‘ऐसे दुर्लभ जानवर के साथ रेस लगाना उनके लिए खतरनाक है। इससे गधे घायल भी हो सकते हैं।’

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत किसी जानवर को परेशान करने पर 5,000 से 10,000 रुपये के जुर्माने और 2 से छह महीने की कैद का प्रावधान है। जंगली गधा या घुड़खर को 2015 में IUCN ने दुर्लभ प्रजातियों में शामिल किया है। सितंबर 2006 से छोटे रण में गधों का अभयारण्य यूनेस्को की भी नज़र में है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के सदस्य यादवेंद्रदेव झाला ने बताया, ‘किसी जानवर का इस तरह का पीछा करना उसे खूंखार बना सकता है और ज्यादा समय तक ऐसा करने पर उसकी मौत भी हो सकती है। किसी जानवर का इसलिए पीछा करना कि जाना जा सके, जानवर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है या नहीं, निंदनीय है।’

 

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