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बलोचिस्तान में लहराया तिरंगा, जानिए क्यों ‘खौफ’ में है चीन

modi_moods-1नई दिल्ली ):प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से बलूचिस्तान का जिक्र क्या किया, पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के माथे पर भी बल पड़ गए हैं। चीन के दक्षिण एशिया मामलों के एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि PoK के रास्ते बन रहे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) में भारत की ओर से कोई दिक्कत पैदा की गई तो चीन को मामले में दखल देना पड़ेगा, और चीन, पाकिस्तान के साथ मिलकर कदम उठाएगा। गौरतलब है कि चीन, बलूचिस्तान में 46 अरब डॉलर यानी लगभग 3 लाख करोड़ रुपए के लागत की CPEC परियोजना चला रहा है। आइए जानते हैं कि क्यों बलूचिस्तान को लेकर भड़क रहा है चीन…

क्या कहा चीन के ‘Think Tank’ ने…
– चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटम्पररी इंटरनेशनल रिलेशन्स के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एंड साउथ-ईस्ट एशियन एंड ओसिनियन स्टडीज का है बयान।
– इंस्टीट्यूट के निदेशक हू शीशेंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र, चीन और इसके विद्वानों की ताजा चिंता है।
– चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटम्पररी इंटरनेशनल रिलेशन्स, चीन के सुरक्षा मामलों के मंत्रालय से सम्बद्धित संस्था है।
– हू शीशेंग का कहना है कि भारत का अमेरिका से बढ़ता सैन्य संबंध और दक्षिण चीन सागर पर रुख में बदलाव चीन के लिए खतरे की घंटी है।
– साथ ही हू ने कहा कि यदि भारत यही रवैया अपनाता है तो यह भारत-चीन संबंधों के लिए परेशानी बन जाएगी।

चीन को किस बात का डर है…
– चीन इस CPEC परियोजना के माध्यम से शिंजियांग प्रांत को ग्वादर पोर्ट से जोड़ना चाहता है।
– ग्वादर बलूचिस्तान में है और यहां चीनी दखल से बलोच पहले से नाराज हैं।
– अब मोदी के बलूचिस्तान का जिक्र करने के बाद चीन को डर है कि बलोच आंदोलन जोर पकड़ सकता है
– जिससे कॉरिडोर का काम प्रभावित हो सकता है, ऐसे में व्यापारिक लाभ और सैन्य ताकत बढ़ानी की उसकी मंशा धरी रह जाएंगी।

चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) से जुड़ी अहम बातें…

– चीन ने सीपीईसी परियोजनाओं में 46 अरब डॉलर यानी लगभग 3 लाख करोड़ रुपए निवेश किया है।
– इस प्रोजेक्ट की शुरूआत 2015 में हुई थी, इसके पूरा होने तक 3 हजार किमी का रेल-सड़क नेटवर्क तैयार हो जाएगा।
– सड़क नेटवर्क तैयार के साथ-साथ रेलवे और पाइपलाइन लिंक भी पश्चिमी चीन से दक्षिणी पाकिस्तान को जोड़ेगा।
– अभी चीन को ग्वादर पोर्ट जाने के लिए 12 हजार किमी के समुद्री मार्ग से सफर तय करना पड़ता है।
– सीपीईसी प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद चीन को अपने बॉर्डर से सिर्फ 1800 किमी का सफर तय करना पड़ेगा।
– बीजिंग से ग्वादर पोर्ट की दूसरी महज आधी से भी कम (5200 किमी) रह जाएगी।
– चीन द्वारा बनाया जा रहा ये कॉरिडोर बलूचिस्तान प्रांत से होकर गुजरेगा, जहां दशकों से लगातार अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं।
– इसके साथ-साथ गिलगिट-बल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का इलाका भी शामिल है।
– सीपीईसी, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21वें मेरीटाइम सिल्क रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
– चीन को उम्मीद है कि इस कॉरिडोर के जरिए वह अपनी ऊर्जा को तेजी से फारस की खाड़ी तक पहुंचा सकता है।
– चीन की योजना इन दोनों विकास योजनाओं को एशिया और यूरोप के देशों के साथ मिलकर आगे बढ़ाने की है।
– वहीं, कॉरिडोर के जरिए पश्चिमी चीन में वित्तीय विस्तार मिलने की उम्मीद है, जो कि बंद इलाका है।
– इसके साथ-साथ चीन की योजना अपने गिलगिट-बल्टिस्तान में अपने पैर जमाने की है,जहां लगातार अलगाववादी आंदोलन हो रहे हैं।
– सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए करीब 21 हजार पाकिस्तानी सैनिक तैनात किए गए हैं।
– अगस्त में गिलगिट-बल्टिस्तान और पीओके लोगों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया है।
– वहां के नागरिकों का आरोप है कि दोनों देश अपने फायदे के लिए इस इलाके के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं।
– नागरिकों का आरोप है कि इस योजना में चीन के कामगारों को लगाया गया है, जबकि स्थानीय युवा बेरोजगार हैं।

पाकिस्तान पर चीन की पांच मेहरबानी…

1)चीन का ग्वादर पोर्ट पर कब्जा-हिंद महासागर में अपनी ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति के तहत चीनी इंजीनियर मकरान तट पर ग्वादर में पाकिस्तान के दूसरे प्रमुख बंदरगाह के निर्माण में लगे हुए हैं। इस बंदरगाह को आसानी से चीनी नौसेना के जहाजों के लिए एक नौसेना बेस के तौर पर खड़ा किया जा सकता है. साफ तौर पर चीन हर तरफ से भारत की सामरिक घेरेबंदी में लगा हुआ है. चीन, पाकिस्तान कॉरीडोर परियोजना के समझौते पर उस समय हस्ताक्षर हुए थे जब चीन के राष्ट्रपति ने अप्रैल 2015 में पाकिस्तान का दौरा किया था।

2)PoK के रास्ते ग्वादर पोर्ट तक रेललाइन-चीन ने अंतरराष्ट्रीय रेल लाइन से अपने सीमावर्ती प्रांत शिनजिआंग को पाकिस्तान से जोड़ने को लेकर कथित तौर पर शुरुआती शोध अध्ययन पर काम शुरू किया है। परियोजना को लेकर भारत को एतराज है क्योंकि यह रेललाइन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगी। 1,800 किलोमीटर चीन-पाकिस्तान रेलवे लाइन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद तथा कराची के रास्ते गुजरेगी। इसके अलावा चीन PoK में सिल्क रोड बनाना चाहता है। ऐतिहासिक सिल्क रोड मुख्य रूप से चीन को मध्य एशिया होते हुए यूरोप से जोड़ता है।

3)चीन ने पाकिस्तान को दी 56 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद-पाकिस्तान में अपने रेल नेटवर्क और आर्थिक कॉरिडोर को और अधिक मजबूत करने के लिए चीन पाकिस्तान में निवेश कर रहा है। पाकिस्तान के रेल नेटवर्क को और अधिक मजबूत करने तथा पाकिस्तान व ईरान के बीच एक पाईपलाईन का निर्माण करने के लिए चीन, पाकिस्तान में 8.5 बिलियन डॉलर (56 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है। पाकिस्तान में बड़ी परियोजनाओं को अधिकृत करने वाली सेंट्रल डेवलेपमेंट वर्किंग पार्टी (सीडीडब्ल्यूपी) ने 10 बिलियन डॉलर की लागत से बनने वाली दो परियोजनाओं को इसी साल जून में मंजूरी दी थी।

4)न्यूक्लियर प्लांट के लिए चीन ने दिए रिएक्टर-ACA की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान के साथ Chashma 3 न्यूक्लियर रिएक्टर के लिए 2013 में करार किया था। चीन ने पाकिस्तान को Chashma 3 न्यूक्लियर पावर कॉम्प्लेक्स के लिए अभी तक 6 परमाणु रिएक्टर उपलब्ध कराए हैं। 2004 से लेकर अभी तक चीन की NSG की सदस्यता इस मामले में आड़े नहीं आई है। चीन ने पाकिस्तान को परमाणु रिएक्टरों की सप्लाई के लिए 2003 की डील को आधार बनाया है, हालांकि तब चीन NSG का सदस्य नहीं था।

5)चीन देता है पाकिस्तान को 50% सब्सिडी पर हथियार-चीन पाकिस्तान को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर हथियार निर्यात भी करता रहा हैं। चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से लड़ाकू विमान JF-17 और FC-1 बनाए हैं। पाकिस्तान का मुख्य युद्धक टैंक अल-खालिद चीन की मदद से ही तैयार किया गया है। इसके अलावा टैंकरोधी मिसाइल जैसे हथियार भी चीन की मदद से ही पाकिस्तान ने विकसित किए हैं।

 

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