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बिहार में 80 हजार लोगों की जा सकती है नौकरी, जारी हो गया है आदेश

पटना| बिहार में 80 हजार लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. जिन लोगों की नौकरी जाने का भय है वे सभी राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संविदा पर बहाल कर्मी हैं. ये कर्मी पिछले 3 दिनों से अपने लिए ‘समान काम-समान वेतन’ की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. ऐसे में बिहार सरकार ने इन कर्मियों की समस्या का हल खोजने की जगह इनकी ही सेवा समाप्त करने का फैसला लिया है.बिहार में 80 हजार लोगों की जा सकती है नौकरी, जारी हो गया है आदेश

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन ने इससे संबंधित आदेश भी सभी जिलाधिकारियों और सिविल सर्जनों को जारी कर दिया. मिली जानकारी के अनुसार प्रधान सचिव ने अपने निर्देश में साफ कहा है कि अपने-अपने जिले के सभी हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा के विरुद्ध नए कर्मियों की बहाली की जाए. विभाग का तर्क है कि इनके हड़ताल पर जाने से राज्य की स्वास्थ्य जैसी जरुरी सेवा पर असर पड़ रहा है.

महाजन द्वारा भेजे पत्र में कहा गया है कि काम का बहिष्कार करने वाले कर्मियों का पेमेंट नहीं किया जाए और उनके कॉन्ट्रैक्ट को ख़त्म करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाए. जो भी कोई काम पर वापस लौटने वाले शख्स को रोकने का प्रयास करेगा, या काम में बाधा डालने की कोशिश करेगा, उसपर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

हड़ताल पर गए संविदा कर्मियों में नर्सिंग स्टाफ, एकाउंटेंट्स, लैब तकनीशियन और हेल्थ मैनेजर आदि शामिल हैं. इन सभी की नियुक्ति नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत की गई थी. सोमवार से ही हड़ताल पर गए इन कर्मियों की वजह से राज्य की स्वास्थ्य सेवा पर बुरा असर पड़ा है.

दूसरी तरफ हड़ताली कर्मियों के संगठन के एक अधिकारी ने इस आदेश को सरकार का तानाशाही रवैया बताते हुए आंदोलन को और तेज करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस आदेश के बाद सभी हड़ताली कर्मी सामूहिक रूप से भूख हड़ताल पर जायेंगे और जरुरत पड़ी तो आत्मदाह भी करेंगे. संगठनों ने धमकी दी है कि इस आदेश के बाद वो किसी भी सरकारी अस्पताल में काम नहीं होने देंगे. इस दौरान अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी बिहार सरकार की होगी.

बता दें स्वास्थ्य कर्मियों से पहले ही बिहार सरकार राज्य के नियोजित शिक्षकों से ‘समान काम समान वेतन’ की मांग को लेकर निशाने पर है. नियोजित शिक्षकों की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुकी है. नियोजित शिक्षकों के संगठनों ने अगले साल के शुरूआती महीनों में ही अपनी मांगें पूरी न होने पर धरना-प्रदर्शन और हड़ताल तक की चेतावनी दी है.

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