नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के शोपियां में पुलिस थाने पर हुए हमले में आतंकियों के बुर्का पहनकर अटैक करने का खुलासा हुआ है। यह जानकारी सुरक्षा बलों के लिए चिंताजनक है क्योंकि पिछली कई घटनाओं में आतंकियों ने सर्च ऑपरेशंस और काफिले पर हमले के दौरान इसका सहारा लिया। बीते रविवार को पुलिस थाने में हमला कर आतंकियों ने एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी और उसकी राइफल छीन ले गए थे। बीते करीब एक साल में एक दर्जन से ज्यादा ऐसी घटनाओं की पुष्टि हुई है, जिनमें आतंकियों ने वारदात को अंजाम देने के लिए बुर्के का सहारा लिया। हालांकि ऐसी घटनाओं के वास्तविक आंकड़े इससे भी अधिक हो सकते हैं। ऐसे आतंकियों से निपटने के लिए सुरक्षा बल सर्च ऑपरेशंस के दौरान महिलाकर्मियों को साथ लेने पर विचार कर रही हैं। एक अधिकारी ने कहा, यह देखा गया है कि सर्च ऑपरेशंस और आतंकियों की घेरेबंदी के दौरान बहुत से स्थानीय लोग और खासतौर पर महिलाएं फ्रंट पर आ गईं। इसके चलते भ्रम पैदा हुआ और उसका फायदा उठाकर आतंकी मौके से भागने में कामयाब रहे।’ एक घटना के बारे में बताते हुए अधिकारी ने कहा कि इस साल रिपब्लिक डे के मौके पर मुठभेड़ के दौरान दो महिलाओं को कन्फ्यूजन के चलते गोलियां लग गई थीं। तब सुरक्षा बल हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों को पकड़ने की कोशिश में थे। इन दोनों आतंकियों को मार गिराया गया था। इनकी बाद में समीर अहमद वानी और फिरदौस अहमद के तौर पर पहचान हुई थी। ये दोनों आतंकी बुर्का पहनकर भागने की फिराक में थे। इन आतंकियों से निपटने के दौरान गफलत में ही वानी की बहन समेत दो महिलाओं को गोली लग गई थी। इसके बाद फरवरी में भी बुर्काधारी आतंकियों ने एक वारदात को अंजाम दिया था। लश्कर के डेप्युटी कमांडर अबू हंजुल्लाह उर्फ नावेद जट को बुर्काधारी आतंकी अस्पताल में ही हथियार दे गए थे, जिसके बाद वह दो पुलिसकर्मियों को गोली मारने के बाद 4 अन्य लोगों के साथ फरार हो गया।