बेहतर वेतन के लिए नर्सें करती हैं विदेश पलायन
(12 मई : अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष)
नई दिल्ली 11 मई (आईएएनएस)। देश की नर्सें अधिक वेतन की लालसा में बड़ी संख्या में विदेश पलायन कर जाती हैं। उनका मुख्य मकसद दहेज और शिक्षा ऋण के भुगतान के लिए पैसे जुटाना होता है। देश में नर्सों को न तो बेहतर वेतन मिल पाता है और न ही यहां काम की बेहतर परिस्थितियां हैं। देश में इस वक्त प्रति 1० ००० की आबादी पर 7.9 नर्स हैं। यह संख्या अंतर्राष्ट्रीय मानक से काफी नीचे है और यह घरेलू स्वास्थ्य सेवा की जरूरत के लिहाज से नाकाफी है। फरीदाबाद के फोर्टिस अस्पताल के नर्सिंग विभाग की प्रमुख नीलम देशवाल ने आईएएनएस से कहा ‘‘कम वेतन देश में सबसे बड़ी समस्या है। देश छोड़ने वाली अधिकांश नर्सें खासकर केरल की नर्सें कहती हैं कि उन्हें अपनी शादी के लिए धन जुटाना है इसलिए विदेश जाकर काम करना पड़ता है।’’ देशवाल ने कहा कि नौकरी छोड़ने वाली नर्सों का साक्षात्कार करने पर वे कहा करती हैं कि विदेश में अधिक वेतन के कारण वे देश छोड़ रही हैं। देशवाल के मुताबिक वे बताती हैं कि वे दहेज के लिए पैसा जुटाना चाहती हैं। शिक्षा ऋण वापस करना भी एक बड़ा मुद्दा है। नई दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कॉट्र्स हर्ट इंस्टीट्यूट में नर्सिंग प्रमुख शर्मा थोमस ने इसके अलावा यह भी कहा कि कई नर्सें अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा के लिए अधिक वेतन हासिल करना चाहती हैं। हाल के एक अध्ययन के मुताबिक देश की 2० फीसदी नर्सें कमाने के लिए विदेश चली जाती हैं।