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बॉलीवुड का ये स्टार होटलों में किया करता था झाड़ू-पोछा, आज बन गया है बॉलीवुड का सुपरस्टार

बॉलीवुड में काम करने वाला हर कोई मेहनत करता है लेकिन अगर किसी फिल्म में कोई बड़ा सितारा होता है तो सारा क्रेडिट वो ही ले जाता है. मगर एक फिल्म में बहुत से ऐसे किरदार होते हैं जो बेहतरीन अभिनय करके अपना काम करते हैं और उन्हें सराहना भी कोई खास नहीं मिलती. उन्ही किरदारों में से एक हैं पंकज त्रिपाठी, जिन्हें आपने बॉलीवुड की बहुत सी फिल्मों में कॉमेडी सीन करते देखा होगा. इन्होंने बहुत से ब्रांडेड विज्ञापनों में भी काम किया है और पंकज त्रिपाठी के अभिनय का अंदाज भी बिल्कुल है. मगर क्या आप जानते हैं कि RSS से निकलकर बॉलीवुड का सुपरस्टार बना ये बिहारी एक्टर, इसने अपने जीवन में कितना संघर्ष किया और एक बार में ही सोच लिया कि इन्हें अपनी करियर में क्या करना है और क्या नहीं करना है.

RSS से निकलकर बॉलीवुड का सुपरस्टार बना ये बिहारी एक्टर

पंकज त्रिपाठी ने एक बार बताया था कि पहली बार वे एक दोस्त के कहने पर कोई नाटक देखने गए थे और जिसके बाद उन्हें उसकी आदत हो गई थी. तब ही उन्होंने सोच लिया था कि वे अब नाटक में अभिनय ही करेंगे क्योंकि इसमें लोगों को हंसाया भी जाता है और रुलाया भी जाता है. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि जिंदगी का सफर भी फिल्मी ही होता है. वे पहले संघ यानी आरएसएस की पाठशाला में थे फिर वहां से निकलकर छात्र राजनीति में जेल भी गए. फिर अभिनेता बनने मुंबई आए और यहां गुजर बसर करने के लिए होटल में काम भी किया. फिर होटल में ही सेफ बन गए और होटल के किचन में लज़ीज खाने बनाने लगे. जिस होटल में पंकज त्रिपाठी कभी प्याज काटते थे अब वहां इंटरव्यू के लिए बुलाए जाते हैं.

पंकज ने राज्यसभा टीवी के एक कार्यक्रम में अपने जीवन से जुड़ी कई बातें शेयर भी की. उन्होंने बताया कि वे अपने गांव में कुछ दिन शाखा से जुड़े हुए थे लेकिन वहां राजनीति की ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी. एक नेतृत्व निर्धारित कराया जाता था, वे हमेशा खेलकूद में आगे रहते थे. इसके बाद वे पढ़ने के लिए पटना आए लेकिन उनका मन पढ़ने में नहीं लगा तो छात्र राजनीति में घुस गए. पंकज ने अपने स्कूल का एक किस्सा बताया कि वे अपने बेहतरीन सेंस ऑफ ह्यूमर से चुटकुले सुनाते और अपने आस-पास कुछ भीड़ इकट्ठा करने में माहिर थे. शायद इसलिए बॉलीवुड में उन्हें वो मुकाम हासिल हो गया जो आज उनके पास है.

कई नौकरी के बाद मिली सफलता

पंकज त्रिपाठी बताते हैं कि नाटक तो वे करते थे लेकिन इससे उनका पेट नहीं भर पाता था इसलिए वे पटना में रहने के दौरान एक होटल मौर्या में किचन सुपरवाइज की नौकरी करने लगे. कई बार उन्हें थिएटर करने को लेकर मैनेजर से डांट भी पड़ी फिर वे काम करना नहीं छोड़ पाए. साल 2001 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में चले आए, यहां उन्हें छोटे-मोटे विज्ञापन मिल जाते थे और फिर फिल्में मिलने लगी. पंकज ने अनारकली ऑफ आरा, न्यूटन, दिलवाले, फुकरे, न्यू क्लासमेट, गैंग्स ऑफ वासेपुर, काला, मसान, बरेली की बर्फी, फुकरे रिटर्न्स, गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 और ओमकारा जैसी हिट फिल्मों में काम किया.

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