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ब्रसेल्स हमले की कहानी, चश्मदीद की जुबानी: मैंने ‘Airlift’ को हकीकत में अनुभव किया

एजेन्सी/ airlift-indore-womanब्रसेल्स में आतंकी हमले के बाद करीब 242 भारतीय भी एयरपोर्ट पर फंस गए थे, जिन्हें शुक्रवार को एयरलिफ्ट कर वापस अपने देश ले आया गया. ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर फंसने वाले भारतीयों में इंदौर की एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रजनी भंडारी भी शामिल थी. जिन्होंने इंदौर लौटने पर बताया कि दहशत के उन सात घंटों में उन्होंने अक्षय कुमार की मूवी ‘एयरलिफ्ट’ की कहानी को हकीकत में अनुभव किया.

जिस समय ब्रसेल्स में आतंकियों ने एयरपोर्ट पर ब्लास्ट किया उस समय इंदौर की डॉ. रजनी भंडारी भी वहीं मौजूद थी. यूएस से भारत वापस लौटने के लिए उन्हें कनेक्टिंग फ्लाइट ब्रसेल्स से ही लेनी थी. इसके लिए वो जेट की फ्लाइट के लिए हवाई अड्डे के गेट नंबर 40 पर बाकी यात्रियों के साथ इंतजार कर रही थीं.

थोड़ी देर बाद ही उन्हें कुछ जलने की बदबू आई और फिर लोगों की भीड़ उनकी ओर दौड़ती हुई दिखी. तब किसी ने बताया कि एयरपोर्ट पर आतंकी हमला हुआ है, ये सुन उनके होश उड़ गए और भीड़ के साथ वो भी एयरक्राफ्ट के पास आकर खड़े हो गईं.

डॉ. रजनी ने बताया कि उस समय तेज ठंड से ज्यादा लोग डर के मारे कांप रहे थे. बाहर कड़ाके की ठंड में लोगों के पास ओढ़ने के लिए कोई अतिरिक्त गरम कपड़े भी नहीं थे. लेकिन इस बीच डॉ. रजनी अपने परिजनों को खुद के कुशल होने की जानकारी देने की चिंता भी सताने लगी.

जिसके बाद उन्होंने वहीं पर मौजूद एक शख्स से मोबाइल लिया और अपनी बेटी को इंटरनेशनल कॉल कर वहां के हालतों के बारे में बताया. बात होने के कुछ देर बाद सभी यात्रियों को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस वाले एक हॉल ले जाया गया, जहां बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां तक नहीं थीं और न ही कोई खास इंतजाम.

सात घंटों तक उन्हें इसी स्थिति में रुकना पड़ा. उसके बाद वहां पुलिस आई और सभी को बस में बैठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया. जहां खाने की सामग्री के साथ ही ओढ़ने के लिए चादर और सोने के लिए बेड दिया गया.

भारतीय एंबेसी ने कहा, आप हमारी जिम्मेदारी नहीं

जिस तरह अक्षय कुमार की फिल्म एयरलिफ्ट में भारतीय एंबेसी इराक के हमले के दौरान कुवैत में फंसे भारतीयों की मदद करने में हाथ खड़े कर देती है, उसी तरह की स्थिति का डॉ. रजनी को भी सामना करना पड़ा. जब उन्होंने वहां मौजूद भारतीय एंबेसी के कर्मचारी से मदद मांगी तो उसने उन्हें दो टूक में कह दिया कि आप हमारी नहीं, जेट एयरलाइंस की जिम्मेदारी हो.

इस बीच जब भारतीय मीडिया के कुछ लोग वहां पहुंचे और उनकी स्थिति टीवी के जरिए दुनिया को पता चली तब कहीं जाकर अगले दिन जेट एयरवेज के चार अफसर उनके पास गए और सभी को एम्सटर्डम में एक बेहतर होटल में ले जाया गया. जिसके बाद आखिरकार सभी भारतीयों को भारत ले जाया गया और 25 मार्च की सुबह 5 बजे वो दिल्ली पहुंचे और फिर वहां से डॉ. रजनी मुंबई पहुंची. उसके बाद 1 बजे इंदौर एयरपोर्ट पर पहुंचकर वो सकुशल अपने घर लौट आईं.

 
 

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