ब्रिक्स से क्या प्रधानमंत्री मोदी चीन को चिढ़ाकर लौटेंगे ?
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इसी दौरान वह आतंकवाद के मुद्दे पर चीन का नाम लिए बिना उसे आतंकवाद को सह देने वाले पाकिस्तान पर हमला बोलकर नसीहत दे सकते हैं। हालांकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार भी इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संबोधन में क्या कहेंगे, यह उनकी स्वतंत्रता और अधिकार है।
इस बारे में हम क्या कह सकते हैं। वहीं प्रधानमंत्री चीन दौरे पर रवाना होने के ऐन क्षण पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आतंकवाद को अहम मसला बताया है। माना यह जा रहा है कि भारत पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकवाद को पिछले कई दशक से झेल रहा है।
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रूस कर सकता है समर्थन
इसके पूरे कयास हैं कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आतंकवाद का मुद्दा उठाए जाने के बाद रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन मोदी का समर्थन कर सकते हैं। भारतीय कूटनीतिक गलियारे के सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद के मुद्दे पर रूस ने हमेशा स्पष्ट रवैय्या अपनाया है। मास्को ने हमेशा इसका विरोध किया है। ऐसा माना जा रहा है कि पुतिन पाकिस्तान को आतंकवाद को सह देने के मामले में सख्त सलाह दे सकते हैं।
संयुक्त घोषणा पत्र होगा अहम
भारत चाहेगा कि ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन के बाद जारी होने वाले घोषणा पत्र में उसकी चिंताओं को स्थान मिले। भारत की मूल चिंता आतंकवाद ही है। हालांकि चीन के लिए संयुक्त घोषणा पत्र में भारत की चिंता को समाहित करना थोड़ा मुश्किल भरा होगा। इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि संयुक्त घोषणा पत्र में भारत हर हाल में चाहेगा कि उसकी चिंताओं को स्थान मिलेगा। हालांकि संयुक्त घोषणा पत्र का मसौदा शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी दलों की सहमति से तैयार होता है।