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बड़ा खुलासा: अमेरीका के पास है कुछ ऐसे परमाणु हथियार, जो कर सकते हैं धरती को तबाह

अमेरीका के पास दशकों से ऐसे परमाणु हथियार हैं जो धरती को इतनी बुरी तबाह कर सकते हैं ये इंसान के रहने लायक भी न रह जाए। लेकिन शायद इतना अमेरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के लिए नाकाफी है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स में छपे एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा “बहुत अच्छा हो अगर किसी देश के पास परमाणु हथियार हों ही ना। लेकिन चूंकि ऐसा नहीं होगा इसलिए ऐसे हथियार रखने के मामले में अमेरीका को ही सबसे आगे रहना होगा।” अमेरीका के हथियारों का जखीरा ब्रिटेन के मुकाबले 31 गुना और चीन के मुकाबले 26 गुना बड़ा है।

ये पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने इस तरह का बयान दिया है। राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी ट्रंप ने एक ट्वीट कर कहा था कि अमरीका को अपनी परमाणु क्षमता बढ़ानी चाहिए। वॉशिंगटन स्थित संस्था आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार केवल रूस ही है जो परमाणु शक्ति के मामले में फिलहाल अमेरीका से आगे है। अमेरीका के पास कुल 6,800 परमाणु हथियार हैं जबकि रूस के पास 7,000 ऐसे हथियार हैं। अमेरीका और रूस ही दो ऐसे देश है जिनके पास परमाणु हमले के लिए जरूरत से ज्यादा हथियार हैं। दोनों के पास दुनिया में मौजूद कुल 15,000 ऐसे हथियारों का 90 फीसदी है। इस लिस्ट में 300 हथियारों के साथ फ्रांस तीसरे नंबर पर है।

साल 2010 में प्राग में हुए स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी के तहत अमेरीका और रूस को अप्रैल 2018 तक अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को एक समान करना होगा। इसके बाद 2020 में दोनों देशों के बीच नए समझौते पर विचार किया जाना है। इस समझौते को ट्रंप पहले ही ‘एकतरफा’ बता चुके हैं। ट्रंप ने रॉयटर्स से कहा, “चाहे वो हमारा मित्र ही क्यों ना हो, हम किसी देश से पीछे नहीं रहेंगे। परमाणु शक्ति के मामले में तो हम आगे ही होंगे।”

नैटो समझौते के तहत अमेरीका ने बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीडरलैंड और तुर्की में अपने परमाणु हथियार तैनात किए हैं। कनाडा, ब्रिटेन और मिस्र में भी उसके हथियार थे जो बाद में हटा लिए गए। इसके अलावा सैन्य ठिकानों पर और युद्धपोतों पर भी ऐसे हथियार रखे गए हैं। फाउंडेशन ऑफ पीस इन दी न्यूक्लियर एरा के कार्यकारी निदेशक रिक वेमैन ने बीबीसी को बताया कि राष्ट्रपति की कोशिशें ‘कतई तर्कसंगत नहीं।’ वेमैन ने कहा “मौजूदा समझौतों के ख़िलाफ़ जाने की कोई वजह नहीं है।”

वो कहते हैं कि इस मामले में अमेरीका दोगली नीतियां रखता है। कोई अन्य देश परमाणु हथियार बनाए तो अमेरीका इसके खिलाफ कड़े कदम उठाता है जबकि उसके खुद के पास दूसरों से कई गुना अधिक हथियार हैं। वो कहते हैं कि इन तथाकथिक रणनीतिक हथियारों से धरती को बुरी तरह हानि ना हो ये अमेरीका के हाथों में है। हालांकि ऐसा नहीं है कि अकेला ये ही ऐसा देश है जो धरती को इंसान के रहने लायक ना रहने दे।

एक शोधकर्ता बताते हैं, “ट्रंप जो कह रहे हैं वो सच है भी या नहीं ये जानना मुश्किल है। लेकिन परमाणु हथियारों को दूसरों के डराने या धमकाने के लिए इस्तेमाल करने की बात सही नहीं है।” संयुक्त राष्ट्र के अनुसार परमाणु हथियार धरती पर मौजूद सबसे ताकतवर हथियार हैं। निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय का कहना है, “इससे ना केवल एक पूरे शहर को खत्म किया जा सकता है बल्कि लाखों लोगों का मारा जा सकता है और पर्यावरण को और आनेवाली पीढ़ी को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है।”

आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन का कहना है, “ट्रंप की बातों से लगता है कि उन्हें परमाणु हथियारों और इसके खतरों के बारे में जानकारी नहीं है। शीत युद्ध का इतिहास बताता है कि हथियारों की जंग में किसी की जीत नहीं होती।” रिक वेमैन के अनुसार “1962 के क्यूबा मिसाइल संकट से शायद हमने कुछ भी नहीं सीखा।” वो कहते हैं, “हमने कुछ नहीं सीखा इसका सबूत ये है कि ऐसे हथियार आज भी मौजूद है और आज उनसे पहले से अधिक खतरा है।”

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