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बड़ी खबर : शादी लायक नहीं है उम्र, तो ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहें : सर्वोच्च न्यायलय

नई दिल्ली : ‘लिव इन रिलेशनशिप को वैध’ मानते हुए उच्चतम न्यायलय ने कहा कि शादी के बाद भी वर या वधू दोनों में से किसी की उम्र विवाह योग्य नहीं है तो वे लिव इन रिलेशनशिप में साथ रह सकते हैं, इससे उनकी शादी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर किसी युवक की उम्र शादी योग्य यानि 21 साल नहीं हुई है और उसकी शादी कर दी गई है तो वह अपनी पत्नी के साथ लिव इन रह सकता है। इतना ही नहीं यह लड़का-लड़की पर निर्भर है कि जब उनकी उम्र शादी योग्य हो जाए तो वे फिर से विवाह करना चाहते हैं या ऐसे ही इस रिश्ते को निभाना चाहेंगे। जीवनसाथी चुनने का अधिकार युवक-युवती से कोई नहीं छीन सकता, चाहे फिर वह कोर्ट हो, कोई संस्था या संगठन ही क्यों न हो।
गौरतलब है कि अप्रैल 2017 में केरल की एक 19 वर्षीय युवती की शादी 20 साल के युवक के साथ हुई। शादी योग्य होने में लड़के की उम्र एक साल कम थी। इस पर लड़की के पिता ने दूल्हे पर अपहरण का केस दर्ज करवा दिया। केरल हाईकोर्ट में मामला पहुंचा तो अदालत ने शादी को रद्द करते हुए लड़की को वापस पिता के पास भेज दिया। वर पक्ष ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और पीड़ित पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन पर अहम फैसला सुनाया और केरल हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि दोनों की शादी हिंदू धर्म के मुताबिक हुई है इसलिए इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में लिव इन ही इसका विकल्प है।
न्यायालय ने घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 का उल्लेख करते हुए कहा कि अदालत का काम है कि वह निष्पक्ष निर्णय ले, न कि एक मां की तरह भावनाओं में बहे और न ही एक पिता की तरह अंहकारी बने।

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