राष्ट्रीय

मध्य प्रदेश : IAS अफसर की धमकी- मेरे खिलाफ कार्रवाई की तो जान दे दूंगा

ramesh-thete_240x180_51452582524भोपाल: मध्य प्रदेश के दलित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे ने राज्य के लोकायुक्त पर उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्वक मामले दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि यदि प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की तो वह अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अन्न-जल त्यागकर जान दे देंगे।

दलित-आदिवासी फोरम, मध्य प्रदेश द्वारा मंगलवार को दलित-आदिवासियों पर अन्याय-अत्याचारों के खिलाफ एक सभा को संबोधित करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थेटे ने कहा, ”मध्य प्रदेश लोकायुक्त द्वारा मुझे प्रताड़ित करने के लिए दुर्भावनापूर्वक मेरे खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं… यदि सरकार मेरे खिलाफ कार्रवाई करती है तो मैं अन्न-जल त्यागकर जान दे दूंगा…”

“सवर्ण अधिकारियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया…”
उन्होंने कहा, ”केवल दलित होने के कारण लोकायुक्त द्वारा वर्ष 2002 से अब तक 10 मामले मेरे खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं… लगभग 10 साल तक चले नौ मामलों में मैं दोषमुक्त हो चुका हूं…” थेटे ने बताया, ”उज्जैन में अपर कमिश्नर रहने के दौरान किसानों की जमीन को सीलिंग एक्ट से मुक्त करने के मामले में शासन को हानि पहुंचाने के आरोप में लोकायुक्त द्वारा स्वयंमेव मेरे खिलाफ 10वां मामला दर्ज किया गया है, जबकि इसी तरह के फैसले लेने पर उनके पूर्ववर्ती सवर्ण जाति के अधिकारियों के खिलाफ आज तक लोकायुक्त ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है…”

थेटे ने लोकायुक्त पर आरोप लगाते हुए कहा, ”लोकायुक्त ने कई बेईमान अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई न करते हुए उन्हें क्लीन चिट दे दी है, जबकि मुझे केवल दलित होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है…” इस मामले में लोकायुक्त की प्रतिक्रिया के लिए उनसे संपर्क करने के प्रयास असफल साबित हुए।

”बीजेपी सरकार दलितों के साथ समान व्यवहार नहीं कर रही है…”
फोरम के संयोजक डॉ मोहनलाल पाटिल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ”बीजेपी सरकार, जो स्वयं को हिन्दुत्व का पैरोकार बताती है, दलितों और आदिवासियों के साथ समान व्यवहार नहीं कर रही है…” इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसीलिए राजस्थान के एक वरिष्ठ दलित आईएएस अधिकारी ने व्यथित होकर पिछले दिनों मुस्लिम धर्म (उमराव सालोदिया से उमराव खान) अपना लिया।

फोरम के मंच पर एक मामले में सेवा से निलंबित चल रहीं मध्य प्रदेश की दलित महिला आईएएस अधिकारी डॉ शशि कर्णावत भी उपस्थित थीं। हालांकि थेटे और कर्णावत ने कार्यक्रम के दौरान धरने पर बैठने की बात से इंकार किया और कहा कि वे अपने समाज के लोगों के बीच अपनी व्यथा कहने यहां उपस्थित हुए हैं।

 

Related Articles

Back to top button