दस्तक-विशेष

मप्र में मोदी को भीड़ ने किया निराश

nirasभोपाल (एजेंसी)। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान आयोजित सभाएं भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को ज्यादा उत्साहित नहीं कर पाई होंगी  क्योंकि इन सभाओं में वह भीड़ नहीं जुटी जिसकी न केवल मोदी उम्मीद करते रहे होंगे बल्कि जिसके लिए वे जाने भी जाते हैं। भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद मोदी की सभाएं भीड़ और उनके कांग्रेस पर किए जाने वाले हमलों के कारण चर्चाओं में रही है। भाजपा द्वारा मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले भोपाल में कार्यकर्ता महाकुंभ का 25 सितंबर को आयोजन किया गया था  इस आयोजन में भाजपा ने सात लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं के आने का दावा किया था। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। तमाम बड़े नेताओं के साथ प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी भी सोमवार को राज्य में चुनावी सभाएं संबोधित करने आए। मोदी ने बुंदेलखंड के छतरपुर  सागर के अलावा गुना व भोपाल में अपनी सभाओं में कांग्रेस के गोधी परिवार पर जमकर हमला किया। इन सभाओं में मोदी के तेवर तो आक्रामक थे  मगर उनका साथ देने के लिए वैसी भीड़ नहीं जुटी जिसके लिए मोदी की रैलियां पहचानी जाती हैं। जानकारों की माने तो चारों स्थानों पर हुए सभाओं में कहीं भी 2० हजार से ज्यादा की भीड़ नहीं जुटी। पार्टी ने संभावित भीड़ के लिहाज से सभी जगह बड़े मैदानों का चयन किया था मगर सभा के दौरान बडे़ मैदानों के अधिकतर स्थान खाली ही नजर आए। मोदी की पहचान भीड़ जुटाउ नेता के तौर पर बन चुकी है और माना जाता है कि उन्हें बड़ी संख्या में लोग सुनने भी आते हैं  मगर मध्य प्रदेश में ऐसा नजारा देखने को नहीं मिला। यही कारण रहा कि मोदी छतरपुर की सभा में रविवार को बैंगलोर में हुई सभा में आई भीड़ की चर्चा कर गदगद नजर आए। वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि पिछले एक माह से मोदी ऐसा कुछ भी नया नहीं कह रहे हैं  जिसे सुनने की लोगों मे ललक हो। उनके भाषणों में एकरुपता आ गई है  लिहाजा मध्य प्रदेश दौरे के दौरान सभाओं में ज्यादा भीड़ नहीं जुटी।  नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि राज्य में हुई सभाओं में मोदी की कलई खुल गई है। इतना ही नहीं इन सभाओ ने बता दिया है कि मोदी जुटाई गई भीड़ के नेता हैं  जन नेता नहीं हैं। यही कारण है कि सोमवार को भाजपा की सभाओं को जनता ने सुनने से ही इंकार कर दिया। भाजपा के नेताओं से मोदी की सभाओं में आई भीड़ को लेकर पूछ गए सवालों पर कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। मोदी की सभाओं में अपेक्षा के मुताबिक भीड़ के न जुटने से कई सवाल खड़े हो गए है। जिसका जवाब भाजपा को ही तलाशना होगा  क्योंकि वह मोदी की सभाओं से बड़ी उम्मीद लगाए हुए हैं। अभी मोदी की 11 सभाएं होना और बाकी है।

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