उत्तर प्रदेशराज्य

महागुन सोसायटी विवाद में अनसुना रह गया एक मां और मासूम का दर्द

यूपी के नोएडा में सेक्टर 78 के महागुन मॉर्डन सोसाइटी में नौकरानी को लेकर हुए बवाल के बाद एक वहां मौजूद सभी बड़ी सोसायटी के निवासियों ने बांग्लादेशी नौकरानियों की एंट्री पूरी तरह बंद कर दी है. जितनी बड़ी संख्या में घरों में काम करने वाले और उनसे जुड़े कामगारों के हुजूम वहां अचानक पथराव करने पहुंचा था उसके बाद खुद की सुरक्षा को लेकर यहां मौजूद सभी परिवार डरे हुए हैं. लेकिन इस बवाल के बीच एक मां का दर्द अनसुना रह गया है. जिस नौकरानी जोहरा को लेकर ये विवाद उठा उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की बात कह रही है.

महागुन सोसायटी विवाद में अनसुना रह गया एक मां और मासूम का दर्दएक कमरे की चोटी सी टीन में रहने वाली जोहरा की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. जोहरे के छोटे बच्चे को संभालती उसकी मां दरवाज़े पर टकटकी लगाए बस यही प्रार्थना कर रही है कि जल्दी उसकी बेटी और दामाद घर आ जायं. जब से ये बवाल उठा है वो घर नहीं आई है और अब पुलिसिया जांच में उनके फंसने का डर इस बूढ़ी मां को सता रहा है.

बिहार के कुच बिहार इलाके से रोज़ी-रोटी की तलाश में उसका छोटा सा परिवार नोएडा आ गया. यहां उसकी बेटी महागुन सोसायटी में घरों में नौकरानी का काम करती हैं और बेटा वहां बन रही मेट्रो लाइन में मजदूरी करता है. किसी तरह जी तोड़ मेहनत कर इनकी ज़िन्दगी पटरी पर आ ही रही थी लेकिन अब उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. खुद पर लगे बांग्लादेशी होने के आरोपों को नकारते हुए अपने आधार कार्ड को वो बार-बार दिखा कर बस यही गुहार लगा रही है कि उनके जीने का सहारा उनकी बेटी है और उसे जल्दी छोड़ दिए जाए.

ज़ोहरा ने क्या सच में वहां चोरी की थी और क्या वाकई उसे बंधक बनाया गया जिसके गुस्से में वहां इतनी बड़ी संख्या में उसके परिजन और जानकर पथराव करने पहुंचे थे. ये तो जांच का विषय है पर इस सब बवाल के बीच एक बूढ़ी लाचार मां और एक नन्हे से बच्चे के मासूम आंसू कहीं छुप से गए हैं जो समाज में पत्थर होती इंसानियत के लिए कहां तक सही है ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है.

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