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महिला फुटबॉल कोच चान यूएन टिंग ने रचा इतिहास

चान यूएन-टिंग विश्व की पहली एेसी महिला फुटबॉल कोच हैं, जिनके मार्गदर्शन में पुरुष टीम 21 साल में पहली बार चैम्पियन बनी है

l_chan-1462585508 हांगकांग

कहते हैं कि हर सफल आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है, एेसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है चान यूएन-टिंग ने। वे विश्व की पहली एेसी महिला फुटबॉल कोच हैं, जिनके मार्गदर्शन में पुरुष टीम 21 साल में पहली बार चैम्पियन बनी है। चान के मार्गदर्शन में ईस्टर्न स्पोट्र्स क्लब ने हांगकांग फुटबॉल लीग का खिताब जीत इतिहास रच दिया। 27 वर्षीय चान गत दिसम्बर में बतौर कोच ईस्टर्न क्लब से जुड़ी थीं और उनके लिए यह बेहद कठिन था क्योंकि टीम के कई खिलाड़ी उम्र में उनसे काफी बड़े थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और  बहुत ही कम समय में ईस्टर्न क्लब को पहली बार चैम्पियन बनाकर ही दम लिया।

परिवार ने नहीं दी थी इजाजत

चान यूएन-टिंग बताती हैं कि वह एक रूढ़ीवादी परिवार से ताल्लुक रखती हैं जो लड़कियों के बाहर जाकर काम करने के विरुद्ध था। उन्होंने कहा, जब मैं 13 साल की थी तब मैंने अपने परिजनों से फुटबॉल खेलने की इजाजत मांगी थी। लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया था क्योंकि चीन की संस्कृति के अनुसार फुटबॉल का खेल लड़कियों के लिए नहीं है। मेरे परिजनों का कहना था कि मैं या तो डांस सीखूं या फिर चित्रकारी, लेकिन फुटबॉल कतई नहीं। 

मां के नकली हस्ताक्षर किए

चान भी पीछे हटने वालों में से नहीं थी, 15 साल की उम्र में उन्होंने समर ट्रेनिंग प्रोग्राम के फॉर्म पर मां के नकली हस्ताक्षर कर फुटबॉल क्लब में प्रवेश ले लिया। चान ने कहा कि जब वे युवा थीं तो उनके जैसी कई लड़कियों ने फुटबॉल खेलना शुरू किया था क्योंकि वे डेविड बेकहम की दीवानी थीं। उनमें से मैं भी   एक थी। मैं हमेशा बेकहम के बारे में जानना चाहती थी, इसके लिए मैं उनके विडियो देखा करती और वैसे ही खेलने की कोशिश करती।

यूरोपियन टीमों से जुडऩे की चाह

चान कहती हैं कि भविष्य में वे यूरोपियन टीमों के साथ काम करना चाहती हैं बतौर सहायक कोच। उन्होंने कहा, मैं जापान, कोरिया या फिर ब्रिटेन व अमरीका जाकर अपनी स्किल्स को और निखारना चाहती हूं। मैं तकनीकी बारीकियां सीखकर हांगकांग की फुटबॉल को और बेहतर बनाना चाहती हूं, लेकिन इसके लिए मुझे बाहर किसी बड़े क्लब के साथ काम करना ही होगा। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा हांगकांग फुटबॉल के भले के लिए ही सोचती रहती हूं।

 

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