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मानसिक बीमारियों से निपटना भारत के लिए बड़ी चुनौती : रामनाथ कोविंद

बेंगलुरु : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि भारत भारत में भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। उन्होंने मानसिक विकार से पीड़ित लोगों के लिए 2022 तक उपचार सुविधाओं की पहुंच मुहैया करने की जरूरत पर जोर दिया। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (निमहांस) के 22 वें दीक्षांत समारोह में उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की कमी पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जो लोग दीक्षांत में अपनी डिग्री हासिल कर रहे हैं, उनकी असली चुनौती शुरू हो गई है। वे एक ऐसी दुनिया में जा रहे हैं जहां कौशल की पहले की तुलना में कहीं अधिक जरूरत है। भारत में मानसिक स्वास्थ्य चुनौती सामान्य नहीं है …बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य महामारी का सामना कर रहा है। ’’

राष्ट्रपति ने इसके लिए कई कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि देश प्रौद्योगिकीय, आर्थिक और जनसांख्यिकीय बदलावों का सामना कर रहा है जो रोगों की प्रकृति को बदल रहा है। उन्होंने कहा कि 2022 में भारत अपनी आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गंभीर रूप से मानसिक विकार से ग्रस्त लोगों को तब तक उपचार सुविधाएं मिल जाएं। उन्होंने कहा, ‘‘आइए इसे राष्ट्रीय मिशन के तौर पर लेते हैं।’’ निमहांस के मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण पर राष्ट्रपति ने कहा कि इसके नतीजे चेतवानी भरे हैं क्योंकि 10 फीसदी भारतीयों को एक या अधिक मानसिक समस्या है।
कोविदं ने मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की कमी का जिक्र करते हुए कहा कि देश में महज 5,000 मनोचिकित्सक और 2000 से कम क्लीनिकल मनोचिकित्सक हैं। यह संख्या बहुत कम है।

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