राजनीति

‘माया’ और ‘राम’ को हरा पहली बार संसद पहुंचीं थीं ‘मीरा’

राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की बैठक में मीरा कुमार के नाम पर मुहर लग गई है. राजग के दलित उम्मीदवार के मुकाबले विपक्ष ने भी दलित स्त्री के चेहरे को चुना है. मीरा कुमार को इस चुनाव में उतारकर कांग्रेस के इर्द गिर्द एकत्र हुए विपक्षी दलों ने भाजपा की अगुवाई में रामनाथ कोविंद का समर्थन कर रहे नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और नवीन पटनायक जैसे सामाजिक न्याय की पैरवी करने वाले नेताओं के लिए नैतिक परेशानी अवश्य खड़ी कर दी है. भाजपा इस चुनाव के जरिए जो अपनी दलित हितैशी छवि बनाना चाहती थी,उस छवि निर्माण के सामने कांग्रेस ने खासी चुनौती तो दे दी है.

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'माया' और 'राम' को हरा पहली बार संसद पहुंचीं थीं 'मीरा'मीरा कुमार का करियर मीरा कुमार को राजनीति विरासत में मिली है. वह पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटी है. वह 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष रह चुकी हैं. वह देश की पहली दलित महिला लोकसभाध्यक्ष बनी थी. इस पद पर उनका चुनाव सर्वसम्मति से हुआ था.बिहार से इस पद पर आसीन होने वाली वह दूसरी सांसद थी. इससे पहले पांचवीं लोकसभा में बिहार के बलिराम भगत लोकसभाध्यक्ष के पद पर आसीन हुए थे.
मीरा कुमार सासाराम संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार और कुल पांच बार संसद में पहुंच चुकीं  हैं. मीरा कुमार ने अपना राजनीतिक सफर उत्तर प्रदेश से प्रारंभ किया था.

वर्ष 1985 में उन्होंने बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में उन्होंने प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और कद्दावर दलित नेता रामविलास पासवान को पराजित कर पहली बार संसद में कदम रखा. इसके बाद हुए चुनाव में वह बिजनौर से पराजित भी हुई.

इसके बाद उन्होंने अपना लोकसभा क्षेत्र बदला और 11 वीं तथा 12 वीं लोकसभा के चुनाव में वह दिल्ली के करोलबाग संसदीय क्षेत्र से जीतकर संसद में पहुंचीं.

इसके बाद मीरा कुमार ने अपनी जन्मस्थली बिहार को ही अपनी कर्मभूमि बनाने का फैसला किया और अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने सासाराम जा पहुंचीं.

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सासाराम संसदीय क्षेत्र में 1998 और 1999 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुनिलाल ने उन्हें पराजित कर दिया. लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में मीरा कुमार ने मुनिलाल को 2,58,262 मतों से पराजित करा. इसके बाद उन्हें पहली बार केन्द्र में मंत्री पद भी प्राप्त हुआ. उन्हें सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया. 15 वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भी मीरा कुमार ने सासाराम सीट को बरकरार रखा तथा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मुनिलाल को 45 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया. इसके बाद केन्द्र में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए जल संसाधन मंत्रालय सौंपा गया. वह कांग्रेस महासचिव और कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य भी रह चुकी हैं. वह वर्ष 2000 में कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफ़ा भी दे चुकी हैं. लेकिन वर्ष 2004 में उन्होंने कांग्रेस फिर से वापसी कर ली और सोनिया गांधी के करीबी नेताओं में उनका शुमार होने लगा.उनके पति मंजुल कुमार सर्वोच्च न्यायालय में वकील हैं. मीरा कुमार एक पुत्र व तीन पुत्रियों की माँ हैं.

31 मार्च 1945 में पटना में जन्मीं और दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज व मिरांडा हाउस से शिक्षा ग्रहण करने वाली मीरा कुमार ने कानून में स्नातक और अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की हैं. उन्होंने स्पेनिश भाषा में भी एडवांस डिपलोमा हासिल किया है.
वर्ष 1973 में वह भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुनी गईं. इसके बाद स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त रहीं.वे भारत-मॉरिशस संयुक्त आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं और ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग में भी काम कर चुकी हैं.

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