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मासूमों की मौतों ने यूं उठाया अफसरों के झूठ से परदा
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मौतों का आंकड़ा जिला और मेडिकल प्रशासन छुपाने में जुटा है। डीएम राजीव रौतला ने 10 और 11 जुलाई को सिर्फ 30 मौत होने का दावा किया था लेकिन मेडिकल कॉलेज के रिकार्ड के मुताबिक इन तारीखों में 48 से ज्यादा मरीजों की मौत हुई है।
मेडिकल कॉलेज में ही मरीजों के भर्ती और मौत का रिकार्ड उपलब्ध हैं, फिर भी मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। बड़ी संख्या में नवजात बच्चों की मौत हुई है। इन सबके नाम के आगे मां (बेबी ऑफ प्रीति) का नाम लिखा है।
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से 48 से ज्यादा मौतें हुई हैं। इसके रिकार्ड भी उपलब्ध हैं। वार्ड नंबर 10 में भर्ती नेपाल के रूपन देही जिला के भगवती की मौत शुक्रवार को सुबह 10 बजे हुई है। इसी वार्ड में भर्ती गोरखपुर के रामजी भी काल के गाल में समा गए हैं। इसके बावजूद प्रशासनिक अफसर मामले को दबाने में लगे हैं। 48 लोगों की मौत हो गई, फिर भी किसी का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। मेडिकल कॉलेज का भर्ती रिकार्ड भी नहीं मिल रहा है।
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इन मौतों की असली वजह बीमारियों को बताने की तैयारी है लेकिन प्रशासनिक अफसर मामले को नहीं दबा सकेंगे। जांच में सारी पोल खुल जाएगी। बहरहाल, इन मौतों ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन और जिले के आला अफसरों की परेशानी बढ़ा दी है। मामला मुख्यमंत्री के जिले से जुड़ा है। लखनऊ के आला अफसर मामले की पल-पल की रिपोर्ट भी ले रहे हैं। माना जा रहा है कि जिले और मेडिकल कॉलेज के बड़े अफसरों पर गाज गिरनी है।