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मुंबई में एक चूहे की कीमत है 230 रुपये

a1-105-300x169मुंबई, 30 दिसंबर. मुंबई में एक चूहे की कीमत 230 रुपये है. यह आंकड़ा चौंकाने वाला हो सकता, लेकिन बीएमसी की सच्चाई सामने लाता है. जिस विभाग पर शहर में चूहे पकड़कर मारने की जिम्मेदारी है. उसके खर्च के यह आंकड़े हैरान करने वाले हैं. अब सवाल ये है कि इतना खर्च करने के बाद चूहों की रोकथाम पर बीएमसी नाकाम साबित क्यों हो रही है?

बीएमसी का इन्सेक्टीसाइड डिपार्टपेमेंट जिस पर डेंगू, मलेरिया के मच्छरों से शहर और उपनगरों में चूहों पर प्रतिबन्ध लगाने का जिम्मा है. ऐसे में चूहों को पकड़कर मारने का खर्च इन दिनों बीएमसी में चर्चा का विषय बना है.

बता दें कि बीएमसी के इस विभाग में कुल 168 लोग काम करते हैं. इनमें से 30 बीएमसी का स्टाफ है, जबकि 138 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर है जो स्टाफ में है. इन्हें महीने की सैलरी करीब 24 से 30 हजार रुपये है. वहीँ, कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मियों को 12 से 15 हजार रुपये महीने के दिए जाते है. इन कर्मचारियों में से 30 कर्मचारी रात की शिफ्ट में चूहे पकड़ते हैं, जबकि दिन में 138 कर्मचारी यही काम करते हैं. मोटे तौर पर इन सभी की सैलरी का हिसाब लगाया जाए तो 23 लाख 76 हजार महज महीने का खर्च है. जो कि हर महीने 15 हजार चूहे पकड़ पाते हैं.

7 करोड़ रुपये का कीटनाशक
इसके अलावा बीएमसी के पिछले 2 सालों के खर्च का प्रावधान देखें तो 7 करोड़ रुपये कीटनाशक और सुविधाओ पर खर्च किये गए हैं. कीटनाशक विभाग से मिले आकड़ो के अनुसार, अप्रैल 2013 से मार्च 2014 तक 3 लाख 30 हजार चूहे पकड़कर मारे गए थे. अप्रैल 2014 से मार्च 2015 तक 2 लाख 60 हजार चूहे मारे गए यानी कि 7 करोड़ का खर्च और इतने कर्मियो की सैलरी खर्च बीएमसी के हाथों शहर के करीब 6 लाख चूहे हाथ लगे. चूहों के लिए इतना खर्च कर भी बीएमसी शहर और उपनगरों को इस परेशानी राहत नहीं दे पा रही है.

क्या कहता है बीएमसी का स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य विभाग बीएमसी की चेयरमैन सुनीता यादव ने बताया कि इसी वर्ष मानसून के वक्त लेप्टोपैरेसिस के हजारो मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए थे. बीएमसी का स्वास्थ्य विभाग चूहों के लिए शहर में फैलती गंदगी को जिम्मेदार मान रहा है.

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