मुंबई में ठंड में ही मंडी पहुंचा ‘फलों का राजा’
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ मुंबई: सर्दी में आम का मजा….। ये किसी विज्ञापन की लाइनें नहीं बल्कि हकीकत है। नवी मुंबई में स्थित एशिया की सबसे बड़ी वाशी थोक मंडी में जनवरी में ही हापुस की आवक शुरू हो गई है। कारोबारियों का कहना है कि कोंकण में मौसम हापुस के लिए अनुकूल बना हुआ है। साथ ही नए युवा किसान उन्नत तरीकों से सर्दियों में लगने वाले फूल सहेज रहे हैं जिसकी वजह से जनवरी में भी मंडी तक आम पहुंच रहा है। वैसे थोक मंडी में फिलहाल ये 1500-5000 रुपये प्रति पेटी है लेकिन खुदरा में आम खरीदने के लिए 300 फीसदी ज्यादा तक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
मंडी में रोज उतर रही हैं 1000 से 1500 पेटी
वाशी थोक मंडी में क्लेविनयन लोबो को अलफांसों की खुशबू उनके घर अंधेरी से लगभग 30 किमी दूर बाजार तक खींच लाई। हालांकि कीमत के आगे जेब उन्हें आम खरीदने से पहले ही आंखें दिखा रही है। क्लेवियन ने कहा, “मैंने भी सुना कि हापुस बाज़ार में आ गया है तो मैं देखने चला आया लेकिन अभी दाम इतने ज्यादा हैं कि मैं उन्हें खरीद नहीं सकता।” मंडी में रोजाना 1000 से 1500 पेटी आम उतर रहा है। कारोबारियों का कहना है ये पैदावार अप्रत्याशित है।
किसानों की सजगता ने भी बदला आम की ‘एंट्री’ का वक्त
जानकार कह रहे हैं कि मौसम में बदलाव के साथ युवा किसानों की सजगता ने आम की बाजार में ‘एंट्री’ के वक्त को बदल दिया है। थोक कारोबारी चिन्मय पानसरे ने कहा, “अक्टूबर में जो फूल आए थे, उसे 120 दिनों तक नये किसानों ने बचाकर रखा। बारिश भी कम हुई युवा किसानों ने उन्नत तरीके अपनाये इसलिए जो पैदावार फरवरी के आखिर में आती थी, जनवरी से ही आना शुरू हो गई। हर रोज़ 1000 से ज्यादा पेटी माल मंडी में आ रहा है।”
खुदरा बाजार में कीमत 2500 से 3000 रु. दर्जन
थोक मंडी में 700-1000 रु प्रति दर्जन मिलने वाला आम खुदरा बाज़ार में 2500-3000 रु. प्रति दर्जन तक बिक रहा है। कारोबारियों का कहना है कि थोक मंडी के 25 फीसदी फल बाजार तक पहुंचने में सड़ जाते हैं। ऊपर से ट्रांसपोर्ट, किराया, रख-रखाव जैसे खर्च भी उन्हें चुकाने पड़ते हैं, इसलिए फिलहाल ज्यादा बिक्री नहीं है। खुदरा कारोबारी अब्दुल करीम ने कहा, “अभी ज्यादा लोग इसे खरीद नहीं रहे हैं। लोगों को कीमत कम होने का इंतजार है, अभी चुनिंदा लोग ही आम खा रहे हैं।” खैर, फलों के राजा के शौकीन बाजार पहुंच रहे हैं। कुछ फल खरीदने के लिए तो कुछ जेब के चक्कर में बस उन्हें देखने के लिए…।