स्वास्थ्य

मुंह से महक आने के डर से नहीं खाते लहसुन तो आज से दूर हुआ ये डर

ओहियो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि लहसुन की सांस में महक आने की वजह इसमें मौजूद वाष्पशील तत्व होते हैं।लहसुन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इसके बावजूद बहुत से लोग खाने के बाद आने वाली इसकी तीखी महक की वजह से इसे खाने में परहेज करते हैं। एक अध्ययन में सामने आया है कि लहसुन वाले खाद्य पदार्थ खाने के बाद सेब, पुदीना या सलाद पत्ता खाने से इसकी तीखी महक में कमी आती है।

ओहियो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि लहसुन की सांस में महक आने की वजह इसमें मौजूद वाष्पशील तत्व होते हैं। इसमें डाएलिल डाईसल्फाइड, एलिल मरकैप्टान, एलिल मिथाइल डाईसल्फाइड और एलिल मिथाइल सल्फाइड जैसे तत्व शामिल हैं। यह सभी लहसुन में मौजूद होते हैं।

अध्ययन में दल ने लोगों को तीन ग्राम लहसुन को 25 सेकेंड तक चबाने के लिए दिया। इसके बाद पानी से परहेज कर, सेब या इसका जूस या सलाद या पुदीने का जूस या पत्तियां या ग्रीन टीन दी गई।इसके बाद वाष्पशील पदार्थो के स्तर की जांच की गई और उनका विश्लेषण किया गया। इसके लिए आयन फ्लो ट्यूब मॉस स्पेक्ट्रोमेट्री विधि प्रयोग में लाई गई।

निष्कर्ष में पाया गया कि कच्चा सेब या सलाद खाने वाष्पशील तत्वों के मात्रा 50 प्रतिशत की कमी आई। यही वाष्पशील पदार्थ लहसुन खाने के बाद सांस की तीखी गंध के लिए जिम्मेदार होते हैं।कच्चे सेब और कच्चे सलाद की तुलना में सभी वाष्पशील पदार्थो के लिए पुदीने की पत्तियों में ज्यादा वाष्पीकरण क्षमता मापी गई।

सेब जूस और पुदीने के जूस ने वाष्पशील तत्वों के स्तर को कम कर दिया। लेकिन यह साबुत सेब या सलाद चबाने की तुलना में कम प्रभावी रहा।शोधकर्ताओं को ग्रीन टी में लहसुन के यौगिकों के प्रति कोई वाष्पीकरण प्रभाव देखने को नहीं मिला।

यह अध्ययन पत्रिका ‘जर्नल आफ फूड साइंस’ में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन से जुड़ी ओहियो विश्वविद्यालय की रीटा मिरोनडो कहती हैं कि कच्चे साबुत खाद्य पदार्थ लहसुन की तीखी महक खत्म करने में ज्यादा प्रभावकारी होते हैं क्योंकि इनमें एंजाइम के साथ फिनोलिक यौगिक भी होते हैं।

 

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