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मुरैना की गजक और ग्वालियर के गलीचे की जीआई तमगे पर नजर     

gajakइंदौर। मध्य प्रदेश के मुरैना की लजीज गजक (तिल की सूखी मिठाई) और ग्वालियर के खूबसूरत गलीचे को वैश्विक ब्रांड में तब्दील करने के लिये इन्हें जीआई प्रमाण पत्र दिलाने की कोशिशें शुरू हो गयी हैं। दोनों पारंपरिक उत्पादों से जुड़े उद्योगों को भौगोलिक संकेतक रूजियोग्राफिकल इंडिकेशनरू का प्रमाणपत्र दिलाने में मदद का बीड़ा इंदौर के बौद्धिक संपदा सुगमता केंद्र (आईपीएफसी) ने उठाया है। इस इकाई को केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विकास मंत्रालय और भारतीय उद्योग महासंघ (सीआईआई) ने मिलकर स्थापित किया है। आईपीएफसी के कार्यकारी अधिकारी (बौद्धिक संपदा अधिकार) प्रफुल्ल निकम ने आज बताया, ‘हम मुरैना की गजक और ग्वालियर के गलीचे को जीआई प्रमाण पत्र दिलाने के बारे में उत्पादकों और कारोबारियों में जागरूकता पैदा कर रहे हैं। हम क्षेत्र विशेष से जुड़े इन दोनों उत्पादों के बारे में विस्तृत अध्ययन भी कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि जीआई प्रमाण पत्र मिलने पर मुरैना की गजक और ग्वालियर का गलीचा वैश्विक ब्रांड बन जायेंगे। नतीजतन इनके पारंपरिक उत्पादकों और विक्रेताओं को न केवल सीधा आर्थिक फायदा मिलेगा, बल्कि उन्हें दोनों उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री के मामले में पुख्ता कानूनी संरक्षण भी हासिल होगा। निकम ने कहा, ‘मुरैना की गजक और ग्वालियर के गलीचे को जीआई प्रमाण पत्र मिलने के बाद इन पारंपरिक उत्पादों की नकल पर भी रोक लगेगी।’ मध्य प्रदेश की महेश्वरी साड़ियां, धार जिले की बाग प्रिंट, इंदौर में बनने वाले चमड़े के खिलौने और चंदेरी के परिधान उन प्रसिद्ध उत्पादों में शामिल हैं, जिन्हें पिछले सालों में जीआई प्रमाण पत्र मिल चुका है।

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