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मोदी की मंत्री ने अपनी ही सरकार की आलोचना की

menka-gandhi-534aefddebfef_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी- नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में कटौती के चलते देश के मुख्य कार्यक्रम बाल कुपोषण के खिलाफ संघर्ष को झटका लगा है।

केंद्र के इस कदम से हजारों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मेहनताना देने में मुश्किल आएगी। मेनका संभवत: पहली ऐसी केंद्रीय मंत्री हैं जिन्होंने पीएम मोदी की किसी नीति को लेकर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है।

मोदी सरकार ने फरवरी में आर्थिक सुधार की गति को तेज करने के तहत बुनियादी सुविधाओं के खर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सामाजिक क्षेत्र के बजट को घटा दिया था। साथ ही राज्य सरकारों से नई दिल्ली से मिलने वाले फेडरल टैक्सों के बड़े हिस्से इस घाटे (गैप) को पूरा करने को कहा था।

 

हालांकि केंद्र के इस फैसले की आलोचना हुई क्योंकि बाल कुपोषण से निपटने के भारत के प्रयासों को धक्का लगा। दुनिया में 10 में से 4 कुपोषित बच्चे भारतीय हैं और करीब 15 लाख बच्चे हर साल पांच साल के होने से पहले ही मर जाते हैं।

महिला एवं बाल बाल कल्याण मंत्री मेनका ने कहा कि मौजूदा बजट 27 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को केवल जनवरी तक ही वेतन देने के लिए पर्याप्त है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अभी हमारे सामने दिक्कत हैं क्योंकि हमारे बजट में की गई कटौती को अभी पूरा नहीं किया गया है।

स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन देना में दिक्कत आएगी। यह हमारे लिए बड़ा मसला है। उन्होंने कहा कि फरवरी में हुई बजट में की गई कमी से कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने की हमारी योजनाओं को धक्का लगा। उन्होंने कहा कि कटौती से पहले खाद्य कार्यक्रम के आधुनिकीकरण की तुरंत जरूरत थी।

साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को भी अपडेट किया जाना था जो कि चार दशकों से नहीं हुआ। खाद्य वितरण को उन्होंने बकवास करार देते हुए कहा कि कुप्रबंधन के चलते आधा भोजन बर्बाद हो जाता है।

 

 

 

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