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यहां समझिए क्या होता है… लिक्विड, एयर और ऑयल-कूल्ड इंजन में होता है क्या फर्क

लिक्विड-कूल्ड, एयर-कूल्ड और ऑयल-कूल्ड इंजन आमतौर पर बाइक्स में देखने को मिलता है। इन तीनों ही तकनीक का काम इंजन को ठंडा रखने का है। इसका इस्तेमाल अलग-अलग प्रकार की मोटरसाइकिल में अलग-अलग तरीके से किया जाता है।

यहां समझिए क्या होता है... लिक्विड, एयर और ऑयल-कूल्ड इंजन में होता है क्या फर्क

सबसे पहले तो आपको बता दें कि जितने भी इंजन होते हैं उसके भीतर ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है ताकि इंजन के पार्ट्स को चिकना रखा जाए। इंजन के चलने पर यह ऑयल भी गर्म हो जाता है जिसे ठंडा रखने के लिए इन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

एयर-कूल्ड 

यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है। इसमें इंजन बनाते समय लंबी-लंबी लाइने बना दी जाती हैं, ताकी हवा बेहतर तरीके से इंजन की सतह पर लगेगी और ऑयल को ठंडा करेगी।

ऑयल-कूल्ड 

इस तकनीक को एयर-कूल्ड में थोड़ा सा ही बदलाव करके तैयार किया गया था। इसके तहत एक एयरकूल्ड इंजन से छोटे पाइप के जरिए ऑयल को बाहर निकाला गया और ऑयल ठंडा होकर वापस इंजन में चला जाता है।

लिक्विड-कूल्ड

लिक्विड-कूल्ड इंजन बाकी दोनों से थोड़े महंगे होते हैं। इसमें कार के रेडिएटर की तरह तकनीक का इस्तेमाल किया गया। आमतौर पर इस तकनीक का इस्तेमाल 200 सीसी से बड़ी बाइकों में किया जाता है। इस तकनीक के तहत इंजन के अदर काफी सारे ब्लॉक बनाए जाते हैं जिनमें ऑयल घूमता और रेडिएटर में आकर ठंडा हो जाता है। ठंडा होने के बाद वापस इंजन में चला जाता है।

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