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युद्ध में पराजित हुए लोग आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली : इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस के समारोह को संबोधित किया। उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद हैं। गौरतलब है कि 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 20 साल पहले कारगिल की चोटी पर पाकिस्तान को परास्त कर हमारे वीर जवानों ने करगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था। 1999 में दुश्मन देश को धूल चटाकर अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर शहीदों की याद में विजय दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘1947 में कोई एक जाति या धर्म नहीं पूरा देश आजाद हुआ था। संविधान किसी एक जाति या धर्म के लिए नहीं लिखा गया था। संविधान पूरे देश के लिए लिखा गया था।’ इतिहास गवाह है कि भारत ने किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है। मानवता के हित में शांतिपूर्ण आचरण हमारे संस्कारों में है। हमारा देश इसी नीति पर चलता है। भारत में हमारी सेना की छवि देश की रक्षा की है तो विश्व में हम मानवता और शांति के रक्षक भी हैं। मोदी ने कहा आज युद्ध की प्रकृति बदल गई है, आज मानवता और दुनिया छद्म युद्ध का शिकार है, आतंकवाद पूरे मानव जाति को चुनौती दे रहा है। युद्ध में पराजित लोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने और आतंकवाद को प्रोत्साहित करने के लिए छद्म युद्ध का उपयोग कर रहे हैं। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए न किसी के दबाव में काम होगा, न प्रभाव में और न ही किसी अभाव में।

पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने कहा था कि हमारे पड़ोसी को लगता था कि कारगिल को लेकर भारत प्रतिरोध करेगा, विरोध प्रकट करेगा और तनाव से दुनिया डर जाएगी। लेकिन हम जवाब देंगे, प्रभावशाली जवाब देंगे उसकी उम्मीद उनको नहीं थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध में पराजित हुए लोग आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। मोदी ने कहा ‘पिछले 5 वर्षों में, हमारे सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए कई अहम फैसले लिए गए। हमारे सरकार ने ओआरओपी को लागू करने का निर्णय लिया, जो दशकों से लंबित था। इस बार हमारी सरकार बनने के बाद, हमने शहीदों के बच्चों की छात्रवृत्ति बढ़ाने का निर्णय लिया। ‘मैं 20 साल पहले कारगिल गया था जब युद्ध अपने चरम पर था, दुश्मन ऊंची चोटियों पर था। मौत सामने थी, लेकिन हमारे जवान तिरंगा के साथ सबसे पहले घाटी पहुंचना चाहते थे।’ करगिल में विजय हमारे बेटों और बेटियों की बहादुरी की जीत थी। यह भारत की ताकत और धैर्य की जीत थी। यह भारत की पवित्रता और अनुशासन की जीत थी। यह हर भारतीय की उम्मीदों की जीत थी। सरकारें युद्ध नहीं लड़ती। युद्ध पूरा देश लड़ता है। सरकारें आती जाती रहती हैं, लेकिन जो देश के लिए मरने जीने की परवाह नहीं करते हैं, वे अमर होते हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद कारगिल जाने का अवसर मिला था, लेकिन जब करगिल युद्ध जीते थे तब भी कारगिल गया था। इस अवसर पर, मैं उन सभी बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने अपने खून का बलिदान देकर कारगिल की चोटियों से तिरंगे को उतारने की साजिश को नाकाम कर दिया। मैं उन बहादुर माताओं का भी सम्मान करता हूं जिन्होंने इन बहादुरों को जन्म दिया।

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