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यूपी जीतने के लिए पीएम मोदी व राजनाथ बनाएंगे माहौल

narendra-modi-and-rajnath-singh-56c0c3223c409_exlstदस्तक टाइम्स एजेंसी/सूबे में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने में भले ही अभी दस महीने बचे हों, लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने समर की तैयारी शुरू कर दी है। योजना यह है कि विधानसभा चुनाव 2017 की आचार संहिता लागू होने से पहले पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की रैलियां कराकर भाजपा के पक्ष में माहौल बना दिया जाए।

जानकारी के मुताबिक भाजपा की योजना पूरे प्रदेश में 15-16 रैलियां कराने की है। रैलियों के स्थान और उनके स्वरूप का पूरा खाका प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद खींचने की बात तय हुई है।

पिछले दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के साथ भाजपा की प्रदेश की कोर कमेटी की दिल्ली में हुई बैठक में यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर काफी लंबी चर्चा हुई। अन्य विषयों के साथ प्रदेश में भाजपा की स्थिति पर भी विचार-विमर्श हुआ।

निष्कर्ष निकला कि संगठनात्मक चुनाव और सदस्यता के चलते पार्टी की बाकी गतिविधियां पिछले कई महीने से ठप-सी पड़ी हैं। इस नाते विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले प्रदेश में भाजपा की सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए रैलियों से बेहतर कोई विकल्प नहीं है।

बैठक में तय हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी और राजनाथ की पूरे प्रदेश में इस तरह से रैलियां आयोजित की जाएं कि सभी इलाके कवर हो जाएं। इसके लिए 15 से 25 विधानसभा क्षेत्रों के बीच में दोनों में से एक नेता की रैली करने की योजना बनी है।

दोनों नेताओं की कुछ रैलियां संयुक्त रूप से भी आयोजित की जाएंगी, जिससे माहौल बनाने में आसानी रहे। यह भी तय हुआ कि हिंदी भाषी प्रदेशों से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों की यूपी में आवाजाही बढ़ाई जाए। सांसदों को भी दो से तीन विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी देकर उनमें लगातार दौरे करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए।

अप्रैल-मई से शुरुआत संभव
वैसे तो प्रधानमंत्री मोदी की एक रैली इसी महीने 28 तारीख को बरेली में हो रही है। हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है, मगर योजना है कि कुछ रैलियां अप्रैल-मई के बीच कराई जाएंगी। कुछ सितंबर से दिसंबर के पहले हफ्ते के बीच करा ली जाएं।

दिल्ली में हुई बैठक में हिस्सा लेने वाले भाजपा नेताओं में से एक कहते हैं कि रैलियों से पार्टी के लोगों में सक्रियता आएगी। रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए ही सही, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को लोगों के पास जाकर संपर्क करना होगा। अंतत: इसका लाभ पार्टी को ही होगा।

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