दस्तक-विशेष

यूपी में निवेश को आतुर जापान

जितेन्द्र शुक्ल
jitendra shuklaइसे उप्र के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बड़ी मेहनत और बेहतर नीति का ही नतीजा कहा जायेगा कि अब जापान के शीर्ष औद्योगिक घराने अब सूबे में निवेश की इच्छा को लेकर स्वयं चलकर आये हैं। वास्तव में उनकी यह सिर्फ इच्छा ही नहीं है बल्कि यूपी में निवेश को आतुर हैं। जापानी निवेशकों ने सिर्फ सूबे की अखिलेश यादव सरकार की भूरि-भूरि प्रशंसा ही नहीं की बल्कि यहां निवेश की संभावनाओं को देखते हुए उनके साथ चर्चा भी की। जापानी निवेशकों के प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों ने राज्य सरकार द्वारा अवस्थापना विकास के लिए संचालित परियोजनाओं जैसे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, लखनऊ मेट्रो रेल इत्यादि की सराहना की।
प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों ने माना कि उत्तर प्रदेश एक विशाल जनसंख्या वाला राज्य है और यहां पर विकास की असीमित सम्भावनाएं मौजूद हैं। साथ ही, राज्य सरकार निवेशकों की पूरी मदद कर रही है। उन्होंने प्रदेश में निवेश की इच्छा जताते हुए कहा कि वे इसके लिए सभी सम्भावनाओं पर विचार-विमर्श करेंगे। वहीं युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी प्रतिनिधिमण्डल के स्वागत में कोई कोर कसर बाकी न रख छोड़ते हुए उन्हें हर तरह से संतुष्ट करने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने उप्र में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए निवेशकों को हर सम्भव सहायता का आश्वासन दिया और उन्हें बताया कि राज्य सरकार ने उद्योगों के विकास के लिए ‘अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012’ बनायी गयी है। इसके अलावा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अन्य नीतियां जैसे- सूचना प्रौद्योगिकी नीति, खाद्य प्रसंस्करण नीति, सौर ऊर्जा नीति, पर्यटन नीति, खाद्य प्रसंस्करण नीति इत्यादि लागू की हैं। श्री यादव ने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में अपनी औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने वाले निवेशकों को अन्य सुविधाएं भी मुहैया करायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध है और यह बिना औद्योगिक विकास के सम्भव नहीं है।
up niveshजापानी प्रतिनिधिमण्डल में बुद्धा निप्पो सोलर कम्पनी लि. के मसामी अमानो, आईसीएचडी के डॉ. सुशील यादव, तोवाडा सोलर कम्पनी लि. के तोमोहीसा हिगुची, कन्साई सॉ मैन्यु. कम्पनी लि. के सुयोशी अशीहरा, एक्विन कॉर्पोरेशन के मसाकी इकाई, अकामत्सु इलेक्ट्रॉनिक्स के अकामत्सु, शुबु किज़ाई शिनबुन के अत्सुओ ओकुरा, सेप्रो कॉ. लि. के हत्सुहिको कुबोयामा, स्काई पैक्स जापान के आइको सुजुकी, किनैन्बी कम्पनी लि. के सतोरू कण्डा, किनैन्बी कम्पनी लि. के अकीरा नकाई, विल्डाईफ्लेक्स कम्पनी लि. के कत्सुया कुची, एनआरआई जापान के एमएल शर्मा, पॉलीग्लू के मिनाको नकाया तथा एनआरआई, जापान के बुद्धा निप्पो सोलर कम्पनी लि. के विनय कुमार शामिल थे।
यह पहला मौका नहीं है जब विदेशी हों या फिर देशी कंपनियां, जिन्होंने उप्र में निवेश की इच्छा जाहिर की हो। इससे पहले भी कई देशी-विदेशी कंपनियों ने उप्र में निवेश की सिर्फ इच्छा ही जाहिर नहीं की थी बल्कि बाकायदा समझौता मसौदे (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं। आगरा अथवा मुम्बई में आयोजित हुई निवेशकों के सम्मेलन में देशी और विदेशी दोनों ही तरह की कंपनियों ने यूपी में निवेश करने को आतुर दिखे। साफ है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कुशल नेतृत्व में सूबे में निवेश का जो भयमुक्त वातावरण उन्होंने तैयार किया है यह सब उसी की परिणति ही है। राज्य सरकार द्वारा एक प्रकार से लखनऊ को दिल्ली से जोड़ने के लिए तैयार की जा रही लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे ने निवेश की संभावनाओं में इजाफा किया है। इस परियोजना की उपयोगिता और सफलता को देखते हुए जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका विस्तार पूर्वांचल तक करने का निर्णय लिया तो निवेशकों की बांछें खिल गयीं। साफ है कि समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से पूर्वांचल की सिर्फ गरीबी ही नहीं दूर होगी बल्कि यहां विकास की नयी गंगा बहेगी, इसमें कोई संशय अब शेष नहीं रह गया है।
श्री यादव ने भी कई मौकों पर यह कहा है कि सूबे में नौजवानों की सर्वाधिक आबादी को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार बड़े पैमाने पर विकास कार्यों को संचालित कर रही है, ताकि नौजवानों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर मिल सकें। इसके साथ ही, छात्र-छात्राओं को प्रदेश में ही उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ पॉलीटेक्निक संस्थानों की भी स्थापना करायी जा रही है। मुख्यमंत्री के मुताबिक समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखने वाली वर्तमान राज्य सरकार ने बीते चार वर्षों में जो काम किए हैं। प्रदेश की प्रगति एवं तरक्की के लिए यही सबसे बेहतरीन रास्ता है। राज्य सरकार केवल लखनऊ में मेट्रो रेल परियोजना, मेदान्ता हॉस्पिटल सहित विभिन्न बुनियादी सुविधाओं का विकास कर रही है, बल्कि अन्य शहरों एवं जनपदों के विकास के लिए भी गम्भीरता से काम कर रही है। वाराणसी, इलाहाबाद आदि नगरों का उल्लेख करते हुए श्री यादव कहते हैं कि बहराइच से श्रावस्ती की 4-लेन सड़क, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे तथा जनपद मुख्यालयों को 4-लेन मार्ग से जोड़ने आदि परियोजनाओं को वर्तमान राज्य सरकार ही संचालित करा रही है। इसके साथ ही, नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना कराकर एमबीबीएस की सीटों में बढ़ोतरी के साथ-साथ पॉलीटेक्निक में करीब एक लाख छात्रों के अध्ययन की व्यवस्था भी समाजवादी सरकार द्वारा ही की गई है, जिससे आगामी पीढ़ी को अपना भविष्य संवारने के अधिक से अधिक अवसर मिल सके। मुख्यमंत्री यह भी साफ करने से नहीं चूकते हैं कि यूपी सरकार द्वारा संचालित नि:शुल्क लैपटॉप योजना की आलोचना करने वाले दलों की राज्य सरकारें इस कार्यक्रम की नकल कर रही हैं। एक्सप्रेस-वे की असीम संभावनाओं को देखते हुए उसके किनारों पर मण्डियों की स्थापना करायी जा रही है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ये सभी काम तब पूरे करने के लिए जुटे हैं, जब नीति आयोग के माध्यम से राज्य सरकार को करीब नौ हजार करोड़ रुपये केन्द्र द्वारा कम उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सूबे में कौशल विकास का कार्यक्रम तब शुरू किया था जब केन्द्र में सरकार यूपीए की ही थी। लेकिन बाद में जब भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने केन्द्र की सत्ता संभाली तो उसने यूपी की अखिलेश सरकार की कौशल विकास योजना को अंगीकार किया। लेकिन तब तक यूपी इस दिशा में कहीं आगे बढ़ चुका था। खुद, मुख्यमंत्री श्री यादव भी इस बात को मानते हैं कि समाजवादी सरकार के युवाओं में कौशल विकास के प्रयासों के परिणाम अब नजर आने लगे हैं। प्रदेश सरकार ने राज्य के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में कौशल विकास के महत्व को पहले ही समझ लिया था, इसलिए इस पर विशेष बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार की यह सोच है कि यदि प्रदेश के नौजवानों को हुनरमंद बनाकर उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध करा दिए जाएं, तो देश एवं प्रदेश तरक्की के मामले में दुनिया के अन्य देशों को पीछे छोड़ सकते हैं। मुख्यमंत्री की इसी सोच का नतीजा था कि पिछले दिनों पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में आयोजित ग्लोबल स्किल डेवलपमेंट मीट में उत्तर प्रदेश राज्य को यह पुरस्कार युवाओं में कौशल विकास के लिए अपनायी गई विभिन्न तकनीकों तथा उद्योगों में सेवायोजन के लिए उन्हें सक्षम बनाने में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया गया।
दरअसल, बीते दिनों ग्लोबल स्किल डेवलपमेंट मीट का आयोजन ब्रुसेल्स स्थित यूरोप इण्डिया फाउण्डेशन फॉर एक्सेलेन्स (ईआईएफई) संस्था ने किया था। इस सम्मेलन का उद्घाटन यूनेस्को में देश की स्थायी राजदूत रूचिरा कम्बोज तथा यूरोप इण्डिया फाउण्डेशन फॉर एक्सेलेन्स के अध्यक्ष काउन्ट क्रिस्टोफर द ब्रेजा द्वारा किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की इस मीट में आर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एण्ड डेवलपमेंट, चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इन्डस्ट्री पेरिस, फ्रोनियस इण्डिया, ऑस्ट्रिया, स्विस फेडेरल इन्स्टीट्यूट फॉर वोकेशनल एजूकेशन एण्ड ट्रेनिंग स्विट्जरलैण्ड, जर्मनी, ज्यूरिख, स्विट्जरलैण्ड, आई मूव-फेडेरल इन्स्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग, जर्मनी जैसी अनेक व्यावसायिक कौशल एवं उद्यमिता क्षेत्र में कार्यरत ख्याति प्राप्त संस्थाओं ने हिस्सा लिया था। वास्तव में मुख्यमंत्री ने सूबे के युवाओं के कौशल विकास के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं में उनका एक्सपोजर विजिट कराने का भी निर्णय लिया था। इसी के तहत राज्य में 46 लाख से अधिक युवाओं को कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षित करने हेतु पंजीकृत किया गया और केवल दो वर्षों में तीन लाख से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। उद्योगों की मांग व आवश्यकता को देखते हुए ट्रेनिंग कोर्सेस की संख्या भी 300 से बढ़ा कर 600 से अधिक कर दी गई है। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने अप्रवासी भारतीय विभाग के जरिए विदेशों में युवाओं को सेवायोजित कराने का भी प्रयास शुरू कर दिया है। ल्ल

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