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येदियुरप्पा की वापसी से भाजपा को अधिक लाभ नहीं

durappaबेंगलुरू (एजेंसी)। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधाभासों की पार्टी बनने की ओर अग्रसर है। एक ओर जहां पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार विरोधी प्रबल जनभावना का लाभ उठाना चाहती है  वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर वह बी.एस.येदियुरप्पा के भरोसे पर है जो भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहे हैं। पिछले वर्ष मई में हुए विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी को महसूस हुआ कि कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री के बगैर चुनाव में उतरने का उसका दांव सही नहीं था। भाजपा को विधानसभा चुनाव में केवल 4० सीटें ही मिल सकीं। अब पार्टी को लगता है कि येदियुरप्पा की वापसी से वह राज्य की 28 में से 2० सीटें जीत सकती है। येदियुरप्पा का (2००8-11) कार्यकाल भ्रष्टाचार और अवैध भू-सौदों के लिए कुख्यात रहा। इस विरोधी भावना का लाभ उठाकर कांग्रेस ने विधानसभा की 122 सीटों पर जीत हासिल कर ली। जनता दल(सेक्युलर) को 4० सीटें मिलीं और अन्य छोटे दलों को 16 स्थान मिले। वर्ष 2००9 के लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस विपक्ष में थी और उसे 28 में से केवल छह स्थान मिले थे। भाजपा को 19 और जद(एस) को तीन स्थान मिले थे। भाजपा को उम्मीद है कि येदियुरप्पा के वापस आने से राज्य में पार्टी की ताकत बढ़ेगी और दूसरी ओर कांग्रेस केंद्र में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी है। बहरहाल कर्नाटक में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग और भाजपा के बीच केंद्रीय स्तर पर किए भ्रष्टाचार और भाजपा की राज्य में पहली सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के बीच मुकाबला होगा। राजनीतिक हलकों में इस बात पर संदेह है कि येदियुरप्पा की भाजपा वापसी से लिंगायत समुदाय के बीच उनकी पकड़ का लाभ भाजपा को हो सकता है।

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