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रघुराम राजन को RBI गवर्नर के तौर पर नहीं चाहते दूसरा कार्यकाल

raghuram-rajan-reuters-650_650x400_51465454208मुंबई: लगातार राजनीतिक हमलों के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज बैंक के गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इनकार कर दिया। अचानक की गई इस घोषणा से रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर राजन के बने रहने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग गया।

रिजर्व बैंक गवर्नर ने अपने सहयोगियों को लिखे पत्र में कहा है कि वह जरूरत पड़ने पर अपने देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध होंगे। राजन (53 वर्ष) को पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सितंबर 2013 में रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया था।

राजन को एक और कार्यकाल दिए जाने के सवाल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, ‘यह प्रशासनिक विषय’ मीडिया की रुचि का मुद्दा नहीं होना चाहिए और इस पर कोई भी बात सितंबर में ही होगी।

2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की पहले ही कर दी थी भविष्यवाणी
उल्लेखनीय है कि राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के जाने माने अर्थशास्त्री रहे हैं और उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बारे में काफी पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। स्वामी ने अन्य आरोप लगाने के साथ साथ राजन की सोच पूरी तरह भारतीय होने को लेकर भी सवाल उठाया था क्योंकि उनके पास अमेरिका का ग्रीन कार्ड है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजन पर स्वामी द्वारा खुलेआम किए जा रहे हमलों के बीच सार्वजनिक आलोचना को लेकर संयंम बरते जाने की अपील की, जबकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि हाल ही में राज्यसभा में नामित सांसद द्वारा की जा रही टिप्पणियां उनकी निजी राय है।

जल्द होगी राजन के उत्तराधिकारी की घोषणा
वित्त मंत्री अरुण जेटली जिन्होंने कि पहले इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से इनकार किया। शनिवार को उन्होंने कहा कि वह उनके फैसले का सम्मान करते हैं और सरकार उनके अच्छे काम की प्रशंसा करती है। उन्होंने कहा कि राजन के उत्तराधिकारी के बारे में फैसले की घोषणा जल्द की जाएगी।

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिंदबरम जिनके कार्यकाल के दौरान राजन की नियुक्ति हुई थी, ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘मैं डॉक्टर रघुराम राजन के चार सितंबर 2016 को कार्यकाल समाप्ति के बाद आरबीआई छोड़ने के फैसले से निराश और बेहद दुखी हूं लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि मुझे इस पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ।’

उन्होंने कहा कि सरकार ने जाने-माने विद्वान और अर्थशास्त्री के खिलाफ उकसाने वाले, आधारहीन और बचकाने हमले की सोचे-समझे नियोजित अभियान के जरिए इस घटनाक्रम को आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने पहले कहा था कि यह सरकार डाक्टर राजन के काबिल नहीं है। बावजूद इसके, भारत नुकसान में है।’

उद्योगपतियों ने बताया देश का नुकसान
देश के शीर्ष उद्योगपतियों ने कहा कि राजन का दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करने का फैसला देश का नुकसान है। क्योंकि उन्होंने आर्थिक स्थिरता लाई और वैश्विक मंच पर भारत की विश्वसनीयता बढ़ाई।

आनंद महिंद्रा, दीपक पारेख, एन.आर. नारायण मूर्ति, किरण मजूमदार-शॉ, मोहन दास पै के नेतृत्व में भारतीय उद्योग को उम्मीद है कि राजन के उत्तराधिकारी भी उनके द्वारा शुरू अच्छा काम जारी रखेंगे, हालांकि उद्योग मंडल सीआईआई और फिक्की ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया।

आनंद महिंद्रा राजन के फैसले से दुखी
इस घटनाक्रम पर महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा कि वह राजन के मौजूदा कार्यकाल के बाद पठन-पाठन के क्षेत्र में वापस लौटने का फैसला सुनकर दुखी हैं।

एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा, ‘उनका जाना दुख की बात है। मुझे आश्चर्य है कि गवर्नर ने किन वजहों से यह फैसला किया। मुझे भरोसा है कि सरकार सही समय पर उन्हें और दो साल का कार्यकाल विस्तार देने पर विचार करेगी जैसा कि ज्यादातर गवर्नर को मिला है।’

मूर्ति, जिन्होंने राजन को और कार्यकाल का विस्तार देने की मांग की थी, ने कहा कि वह इस घटनाक्रम से दुखी हैं। साथ ही कहा कि राजन के साथ अपेक्षाकृत और गरिमा के साथ व्यवहार होना चाहिए था।

राजन ने यह भी कहा कि दो प्रमुख मामलों – मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और बैंक खातों को साफ सुथरा बनाने – पर काम पूरा होना बाकी है और वह यह काम पूरा होते देखना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपना मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद पठन पाठन की तरफ लौटने का फैसला किया है।

वापस शिकागो विवि जाएंगे राजन
शिकागो विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के छुट्टी पर चल रहे प्रोफेसर ने बिना कोई खास वजह बताए कहा कि उन्होंने काफी सोच-विचार और सरकार के साथ सलाह मशविरा करने के बाद कार्यकाल की समाप्ति पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौटने का फैसला किया है।

राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवासी (बी) जमा के भुगतान तथा उनके बाह्य प्रवाह को लेकर पर्याप्त तैयारी की है ताकि यह व्यवस्थित तरीके से हो। इसमें कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए। राजन उन चिंताओं के संबंध में कह रहे थे कि सितंबर-अक्टूबर में परिपक्व हो रहे इन बांड से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ने वाले अचानक दबाव का असर बाजार पर पड़ सकता है।

सुब्रमण्यम स्वामी करते रहे हैं राजन पर हमले
रिजर्व बैंक प्रमुख को आम तौर पर उद्योग और विशेषज्ञों ने सराहा है, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी और कुछ अन्य नेताओं ने उन पर महंगाई को काबू में नहीं रख पाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरें कम नहीं करने को लेकर लगातार हमले किए। गवर्नर ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके उत्तराधिकारी रिजर्व बैंक को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘मैं शिक्षक हूं और मैंने हमेशा साफ किया है कि मेरा आखिरी ठिकाना विचारों की दुनिया है। मेरा तीन साल का कार्यकाल खत्म होने वाला है और शिकागो विश्वविद्यालय से छुट्टी का भी। इसलिए यह विचार करने का सही समय था कि हमने कितना काम पूरा किया।’

‘मौद्रिक नीति समिति का गठन बाकी है’
उन्होंने कहा, ‘पहले पहले दिन जो काम शुरू किया था वह पूरा हो गया, लेकिन बाद के दो घटनाक्रमों का पूरा होना बाकी है। मुद्रास्फीति लक्षित दायरे में है, लेकिन मौद्रिक नीति समिति का गठन बाकी है जो अब नीति तय करेगी।’

राजन ने कहा, ‘इसके अलावा परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के तहत बैकों के लेखे जोखे को साफ सुथरा बनाने का जो काम शुरू किया गया था उससे बैंकों की बैलेंस शीट में अपेक्षाकृत विश्वसनीयता आई है और यह काम अभी चल रहा है। हालांकि, निकट भविष्य में अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से कुछ जोखिम हो सकता है।’

उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता था कि ये काम हो जाए लेकिन सोच-विचार कर और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सितंबर 2016 को अपना कार्यकाल समाप्त होने पर पठन-पाठन के काम में लौट जाऊंगा।’

खुलकर अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं राजन
राजन ने कहा, ‘मेरे सहयोगियो, हमने पिछले तीन साल में वृहत्-आर्थिक और संस्थागत स्थिरता का मंच तैयार किया है।’ मुखर होकर अपनी राय व्यक्त करने के लिए जाने जाने वाले राजन ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। चाहे यह असहिष्णुता पर छिड़ी बहस हो या फिर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में उनकी ‘अंधों में काना राजा’ वाली टिप्पणी हो, उन्होंने अपनी बात खुलकर रखी है।

राजन ने अपने संदेश में केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर अपने तीन साल के कार्यकाल पर गौर करते हुए कहा कि उन्होंने 2013 में मुश्किल परिस्थितियों में गवर्नर का पद संभाला, जब देश पांच प्रतिशत की कमजोर वृद्धि के दौर में था, मद्रुास्फीति काफी ऊंची थी और रुपये पर अतिशय दबाव था।

आज भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है
उन्होंने अपने शुरुआती बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने संकट से निपटने के लिए प्रवासी भारतीयों के लिए विशेष जमा सुविधा शुरू करने की बात की थी। लेकिन गवर्नर ने फौरन कहा कि देश अब कमजोर स्थिति में नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘आज भारत विश्व की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज कर रही अर्थव्यवस्था है और हम पांच प्रतिशत की कमजोर वृद्धि दर के दौर से काफी पहले बाहर निकल चुके हैं।’ राजन ने अपने पत्र में अन्य बातों का भी जिक्र किया, जिनके बारे में उन्होंने पहले कहा था। उन्होंने मुद्रास्फीति का लक्ष्य तय करने, नई तरह के बैंकों की शुरुआत करने और लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखने के साथ-साथ डेटा बेस के जरिए संपत्ति गुणवत्ता दबाव की समस्या का समाधान करने जैसे मुद्दों का भी जिक्र किया।

राजन ने कहा, ‘आज, मैं गर्व महसूस कर रहा हूं कि रिजर्व बैंक में हमने इन सभी प्रस्तावों पर काम पूरा किया है।’ राजन ने रिजर्व बैंक गवर्नर का पद संभालने से पहले यूपीए सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया है। इसके अलावा उन्होंने वित्तीय क्षेत्र के सुधारों पर गठित समिति की भी अध्यक्षता की है।

1992 के बाद पहले गवर्नर, जिनका कार्यकाल 5 साल से कम
रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद राजन साल 1992 के बाद रिजर्व बैंक के ऐसे पहले गवर्नर होंगे, जिनका पांच साल से कम का कार्यकाल रहा है।

रिजर्व बैंक में इससे पहले गवर्नर रहे – डी. सुब्बाराव (2008-13), वाई वी रेड्डी (2003-08) बिमल जालान (1997-2003) और सी. रंगराजन (1992-1997) इन सभी का पांच साल का (तीन + दो)  अथवा इससे अधिक का कार्यकाल रहा।

राजन ने 4 सितंबर 2013 को रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर के तौर पर पद संभाला। उन्होंने कहा है कि मौद्रिक नीति समिति को संचालित करने का काम जो कि मुद्रास्फीति लक्ष्य तय करने की रूपरेखा को आगे बढ़ाएगी और बैंकों के खातों को साफ सुथरा करने का काम पूरा नहीं हुआ है।

देश में 360 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में राजन ने कहा कि यह रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और उन्होंने विश्वास जताया कि प्रवासी भारतीय जमा के भुगतान का काम बिना किसी परेशानी के पूरा कर लिया जाएगा।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने खोला राजन के खिलाफ मोर्चा
गौरतलब है कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पिछले काफी समय से राजन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। यहां तक कि स्वामी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरबीआई गवर्नर के खिलाफ सीबीआई के अंतर्गत बनाई गई एसआईटी से जांच की मांग भी कर चुके हैं।

स्वामी ने राजन पर आरोप लगाया कि आरबीआई ने स्माल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) को लाइसेंस देने में धांधली की है। स्वामी का कहना था कि सरकारी नीति के तहत जिन संस्थाओं ने बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया और उनमें से जिन संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए उनमें से किसी ने भी तय शर्तों को पूरा नहीं किया है। इसके बावजूद इन्हें लाइसेंस दे दिए गए। स्वामी का कहना था कि इससे यह पता लगता है कि लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई है और इससे इरादों पर शक होता है।

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