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रजनीकांत की हुई राजनीति में एंट्री, कहा- अगले विधानसभा चुनाव में…

चेन्नई। सुपरस्टार रजनीकांत ने रविवार को कहा कि मैं निश्चित रूप से राजनीति में प्रवेश कर रहा हूं. कर्त्तव्य करने और सबकुछ ईश्वर पर छोड़ देने संबंधी भगवद्गीता के एक श्लोक का हवाला देते हुए, सिने अभिनेता ने कहा कि यह समय की आवश्यकता है. छह दिवसीय बैठक के समापन के मौके पर चेन्नई में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए अभिनेता ने कहा कि वह अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे जो तमिलनाडु की सभी 234 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.रजनीकांत की हुई राजनीति में एंट्री, कहा- अगले विधानसभा चुनाव में...उन्होंने कहा कि पार्टी की शुरुआत विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उचित समय पर की जाएगी. रजनीकांत ने कहा कि पार्टी की नीतियों को आवाम तक ले जाया जाएगा और उनकी पार्टी का नारा सच्चाई, कड़ी मेहनत और विकास होगा. उन्होंने कहा कि ‘अच्छा करो, बोलो और केवल अच्छा होगा’ मार्गदर्शक नारा होगा.

चेन्नई के राघवेंद्र हॉल में रजनीकांत ने कहा कि लोकतंत्र की स्थिति अभी ठीक नहीं है. दूसरे राज्य हमारा (तमिलनाडु) मजाक उड़ा रहे हैं. अगर मैं अभी यह फैसला नहीं लेता तो मुझे दोषी जैसा महसूस होता. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के नाम पर राजनेताओं ने हमारे ही पैसे और जमीन को लूटा है. हमें आधार से बदलाव लाने की जरूरत है. रजनीकांत ने कहा कि मैं नाम, पैसे या शोहरत के लिए राजनीति में नहीं आ रहा.

रजनीकांत के राजनीति में आने के ऐलान के बाद उनके फैंस ने जश्न मनाना शुरू कर दिया है. उधर, सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि रजनीकांत ने केवल राजनीति में आने की घोषणा की है. कोई विस्तृत जानकारी और दस्तावेज नहीं दिए. वे अशिक्षित हैं. ये मीडिया के जरिए किया गया प्रचार है. तमिलनाडु की जनता समझदार है. स्वामी ने कहा कि रजनीकांत को अपने पार्टी का नाम और उम्मीदवारों का ऐलान करने दीजिए, उसके बाद मैं उन्हें बेनकाब करूंगा.

तमिल फिल्म उद्योग के इतिहास पुरुष कहे जाने वाले 67 वर्षीय इस करिश्माई अभिनेता ने राजनीति में प्रवेश करने को लेकर लग रही अटकलों के बीच अपने रुख की घोषणा 31 दिसंबर को करने को कहा था. रजनीकांत तमिल फिल्म उद्योग पर चार दशक से राज कर रहे हैं.

वर्ष 1996 में रजनीकांत ने जयललिता के खिलाफ रुख अपनाया था जिसके बाद से ही राजनीति में उनके प्रवेश की चर्चाएं चलनी शुरू हो गई थी. तमिलनाडु में जयललिता के निधन के कारण पैदा हुए राजनीतिक शून्य और द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि की गिरती सेहत के कारण कम हुई उनकी सक्रियता को देखते हुए रजनी के राजनीति में प्रवेश का मुद्दा फिर उठने लगा था.

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