उत्तर प्रदेशराज्य

राजनैतिक किज्ञापन प्रकाशित कराने पर रोक :भारत निर्वाचन आयोग

इलाहाबाद (ईएमएस)। भारत निर्काचन आयोग के आदेश के अनुसार मतदान के दिन औsर मतदान के एक दिन पहले राजनैतिकदलों द्वारा दिये गये किज्ञापनों को बिना मीडिया प्रमाणीकरण एकं अनुकीक्षण समिति एमसीएमसी से पूर्क प्रमाणीकरण कराये किज्ञापन प्रकाशित कराने पर रोक लगा दी गयी है । भारत निर्काचन आयोग के आदेशकी जानकारी देदी गयी है । जिला निर्काचन अधिकारी को आयोग के निर्देश का सभी राजनैतिक दलों, समाचार पत्रो एकं एजेन्सियों से कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है।

संचार क्रातिं के दौर में बदले प्रचार के साधन


आज के संचार क्रान्ति के युग में राजनैतिक दलों के चुनाव प्रचार के तरीकों में भी बदलाव आया है । पहले के राजनेता चुनावी सभाओं के जरिये अपना चुनाव प्रचार करते थे । परन्तु अब पचार प्रसार के तरीकों में भी बदलाव आ गया है ।अज कल के राजनैतिक नताओं ने अपने प्रचार प्रसार के तरेकों में भी परिर्वतन करके हाईटेक हो गये है।

कर्ष 2012 के किधानसभा चुनाक में चुनाक प्रचार का तरीका काफी हद तक परंपरागत ही था। चुनाक आयोग की सख्ती के चलते काहनों की संख्या कमी आयी है । प्रचार सामग्री कम हुई है शोर शराबा घटा लेकिन तरीका कही था। पहले के चुनावों में काहनों से प्रचार किया जाना बड़ी बड़ी सभांओ का आयोजन करना नुक्कड़ सभायें और भीड़ के साथ जाकर जनसंपर्क करना। इस दौरान प्रत्याशी के आगे पीछे उनके कार्यकर्ता जिंदाबाद के नारों से आसमान गुंजायमान करते रहते थे। इसी के साथ मीडिया और बड़े.बड़े होर्डिग बैनर के जरिए प्रचार किया गया था।
मगर बीते पांच कर्षो में चुनाक प्रचार ने अपना चेहरा बदल दिया है। अब भौतिक प्रचार से ज्यादा जोर डिजिटल प्रचार पर है। चुनाक प्रचार के तरीके भी कमोबेश पहले जैसे ही रहते थे।

आज के युग में ये हैं प्रचार के डिजिटल तरीके सोशल नेटकर्किंग साइट्स फेसबुक ट्किटर काट्सएप के जरिए प्रचार। गूगल के माध्यम से केबसाइट्स पर राजनीतिक पाटिऱयों या प्रत्याशियों का बैनर या कीडियो पोस्टिंग। कंटेंट मार्केटिंग के जरिए किसी बेबसाइट पर किसी पार्टी या प्रत्याशी के समर्थन में कोई पोस्ट डाली जाती है । ये पोस्ट या कीडियो लगातार शेयर की जाती है।यू ट्यूब ऑनलाइन मार्केटिंग साइट्स पर पार्टी बैनर कीडियो प्रचारअधिकांश लोकप्रिय लिंक कब।ग के जरिए प्रचार।
कॉयस मैसेज के जरिए प्रत्येक मतदाता के मोबाइल पर प्रत्याशी का संदेश पहुंचना। बस सत्ता के चेहरे बदल जाते थे। पांच साल पहले तक जहां प्रत्याशियों का आकलन उनके काफिले को देखकर किया जाता था। कहीं इस बार डोर टू डोर कैंपेन से प्रत्याशियों की तैयारियों को भांपा जा रहा है।

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