राजन आज करेंगे आखिरी मौद्रिक समीक्षा
नई दिल्ली। मंगलवार का दिन न सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन के लिए बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए खास होगा। आज वार्षिक मौद्रिक नीति की आरबीआई गवर्नर की तरफ से समीक्षा की जाएगी। हालांकि महंगाई के तेवर को देखते हुए ब्याज दरों में कोई खास बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। यह राजन की तरफ से पेश की जाने वाली अंतिम समीक्षा तो होगी ही, साथ ही इसके बाद ब्याज दर तय करने की मौजूदा व्यवस्था पर भी पर्दा गिर जाएगा। वित्त मंत्रालय ब्याज दर तय करने के लिए नई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) गठित करने की अंतिम प्रक्रिया में है। एमपीसी का अध्यक्ष आरबीआई गवर्नर होगा लेकिन उसके बाद मर्जी से ब्याज दर तय करने का अधिकार नहीं होगा। इस तरह से ब्याज दरों पर अंतिम तौर पर फैसला करने के अधिकार का इस्तेमाल करने वाले राजन अंतिम आरबीआई गवर्नर होंगे। राजन के उत्तराधिकारी के चयन का काम भी अंतिम चरण में है और माना जा रहा है इसकी घोषणा भी शीघ्र की जाएगी। एमपीसी के लिए वैसे चार फीसद महंगाई का लक्ष्य तय कर दिया गया है।
राजन ने अपने तकरीबन तीन साल के कार्यकाल के दौरान जितने सुधारों को लागू करवाया है, वैसा उदाहरण आरबीआई में बहुत कम देखने को मिलता है। गवर्नर बनने के तुरंत बाद ही उन्होंने ब्याज दर तय करने के लिए थोक मूल्य आधारित व्यवस्था को हटाकर उसकी जगह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को आधार बनाया। इससे ब्याज दरों का सीधा संपर्क आम जनता के साथ हुआ है। कई लोगों का कहना है कि अगर राजन अपने कार्यकाल में ब्याज दरों में 150 आधार अंकों यानी डेढ़ फीसद की कटौती करने में सफल रहे हैं तो इसका काफी श्रेय इस कदम को जाता है। दूसरा काम उन्होंने देश के बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के नये युग का सूत्रपात किया। पेमेंट व स्मॉल बैंक के दर्जनों लाइसेंस दिए गए। यही नहीं उन्होंने जाते-जाते यह भी सुनिश्चित किया कि बड़े औद्योगिक घराने भारत में बैंकिंग कारोबार शुरू नहीं करें।