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राष्ट्रपति चुनाव का हो गया फैसला, मोदी सरकार की जीत पक्की, नाम हुआ फाइनल!

नयी दिल्ली: वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में खत्म होने वाला है। इसी के साथ नए राष्ट्रपति चुनाव के लिए रेस तेज हो गई है। सभी दल अपने नेता को इस पद पर बिठाना चाहते हैं। केंद्र की बीजेपी सरकार ने बीते दिनों हर राज्य में प्रचंड जीत हासिल करके इस पद पर अपनी दावेदारी पक्की कर ली है। लेकिन वहीं, विपक्ष भी पूरी कोशिश कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्ष की कमान संभाले हुए हैं। वह पूरे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन उनकी काशिशों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) की जीत का रास्ता साफ हो गया है। बता दें बीजेपी की तरफ से अभी तक कई नाम सामने आ चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी भी नाम पर मुहर नहीं लगी है।

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राष्ट्रपति चुनाव का हो गया फैसला, मोदी सरकार की जीत पक्की, नाम हुआ फाइनल!उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मिली बंपर जीत के बाद एनडीए पहले से ही विपक्ष पर भारी थी। अब दक्षिण की पार्टियों एआइएडीएमके, टीआरएस और वाइएसआर कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद बीजेपी की राष्ट्रपति चुनाव में राह और भी आसान हो गयी है। विपक्ष के पास कुल 48.53 फीसदी वोट थे, जो एनडीए के 48.64 फीसदी से कुछ ही कम है। लेकिन, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के तीन दलों का समर्थन मिलने के बाद एनडीए बहुमत के आंकड़े से काफी आगे निकल गया है। पाला बदल लिया था। इस बार भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल सकता है। वाइएसआर कांग्रेस ने एनडीए को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। उसके कुल मतों का मूल्य 16,848 है। यदि एआइएडीएमके और टीआरएस भी एनडीए के पक्ष में आ जाये, तो भाजपा के उम्मीदवार की जीत पक्की है।

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शिवसेना अलग रास्ते पर जा सकती है

अगर ऐसा हुआ तो शिवसेना का विरोध बेकार हो जाएगा। हो सकता है कि यूपीए के कई घटक दल एनडीए के उम्मीदवार को अपना समर्थन दे दें, जैसा कि वर्ष 2012 के चुनाव में हुआ था। बता दें शिवसेना ने हाल ही में आरएसएस नेता मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनाने की मांग की थी। हालांकि भागवत खुद पहले ही अपने को इस रेस से बाहर कर चुके हैं। साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी भागवत को राष्ट्रपति बनाए जाने को नकार दिया था।

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