राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बोले- संसद चर्चा के लिए है, हंगामे के लिए नहीं, सदन चलने दें
एजेंसी/ नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद को जनता की सर्वोच्च आकांक्षाओं का प्रतीक बताते हुए आज कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरी है, न कि अवरोध पैदा करना। उन्होंने साथ ही सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करें।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने जहां एक ओर भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त करने के उपाय किये हैं, वहीं भ्रष्ट पाये गए व्यक्तियों को दंड देने में भी कोई नरमी नहीं बरती है ।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘ नवजीवन और विकास लाने वाले बसंत के इस मौसम में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में आपका स्वागत है और मुझे विश्वास है कि यहां पर होने वाली चर्चा उस भरोसे पर खरी उतरेगी जो हमारे नागरिकों ने हमारे प्रति जताया है। इस पथ पर आगे बढ़ते हुए अपने गौरवशाली देश के विकास और प्रगति में हम सभी बराबर के भागीदार बनेंगे । ’ उन्होंने कहा, ‘ पिछले वर्ष संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मैंने अपनी सरकार की परिकल्पनाओं की एक रूपरेखा बतायी थी जिसका आशय ऐसे भारत का निर्माण करना है जो भविष्य में पूरे आत्मविश्वास के साथ अग्रसर होगा । ऐसा सशक्त और दूरदर्शी भारत जो लोगों को विकास के वे सारे अवसर मुहैया करायेगा, जिनका संविधान में प्रावधान किया गया है। विकास का यह सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ में निहित है और यही मेरी सरकार का मूलभूत सिद्धांत है। ’
राष्ट्रपति ने हाल में पठानकोठ वायु सेना स्टेशन पर हुए आतंकवादियों के हमले को सफलतापूर्वक निष्फल करने के लिए सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा, ‘ मेरी सरकार देश की सुरक्षा से संबंधित सभी चुनौतियों से सख्ती से निपटने के लिए कृत संकल्प है। आतंकवाद विश्वव्यापी खतरा है और इसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर आतंकवाद निरोधी कठोर उपाए किये जाने की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार पाकिस्तान के साथ सम्मानजनक आपसी संबंध बढ़ाने और सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग का माहौल तैयार करने के प्रति कृत संकल्प है । ’ प्रणब ने कहा, ‘ मेरी सरकार पड़ोसी देशों के सुरक्षित और समृद्ध भविष्य में विश्वास रखती है। भारत, अफगानिस्तान को स्थायी, समावेशी और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने में अफगानिस्तान की जनता का सहयोग करने के प्रति वचनबद्ध है। ’
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार पाकिस्तान के साथ सम्मानजनक आपसी संबंध बढ़ाने और सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग का माहौल तैयार करने के प्रति कृत संकल्प है, साथ ही सीमापार के आतंकवाद के कारण उत्पन्न होनी वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सख्त और प्रभावी कदम उठाये जायेंगे।
संसद का बजट सत्र शुरू होने पर दोनों सदनों के केंद्रीय कक्ष में होने वाली संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति की ओर से किये जाने वाले अपने पारंपरिक संबोधन में प्रणब ने कहा, ‘ वसुधव कुटुम्बकम का अर्थ पूरा विश्व एक परिवार है और मेरी सरकार इस सिद्धांत के प्रति वचनबद्ध है। अपने पड़ोसी देशों के साथ सम्पर्क बढ़ाने के लिए उठाये गए हमारे कदमों में इस सिद्धांत की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। ’ उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार पाकिस्तान के साथ सम्मानजनक आपसी संबंध बढ़ाने और सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग का माहौल तैयार करने के प्रति कृत संकल्प है। ’
राष्ट्रपति ने हाल में पठानकोठ वायु सेना स्टेशन पर हुए आतंकवादियों के हमले को सफलतापूर्वक निष्फल करने के लिए सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा, ‘ मेरी सरकार देश की सुरक्षा से संबंधित सभी चुनौतियों से सख्ती से निपटने के लिए कृत संकल्प है। आतंकवाद विश्वव्यापी खतरा है और इसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर आतंकवाद निरोधी कठोर उपाए किये जाने की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा कि सीमापार के आतंकवाद के कारण उत्पन्न होनी वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सख्त और प्रभावी कदम उठाये जायेंगे।
प्रणब ने कहा, ‘ मेरी सरकार पड़ोसी देशों के सुरक्षित और समृद्ध भविष्य में विश्वास रखती है। भारत, अफगानिस्तान को स्थायी, समावेशी और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने में अफगानिस्तान की जनता का सहयोग करने के प्रति वचनबद्ध है। ’