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बिना ‘टाइम मशीन’ के ऐसे देख सकते हैं भविष्य

timemashing_14_05_2016दुनिया में कोई भी ऊर्जा हो, वह व्यर्थ नहीं जाती है। ठीक इसी तरह होती स्वर ऊर्जा, यानी जो हम बोल रहे हैं वो कहीं न कहीं ब्रह्मांड के किसी कोने में संचित हो रहा है। जिसे शायद संभव हो तो आधुनिक तकनीकी द्वारा भविष्य सुना भी जा सकता है।

हालांकि यह भविष्य की बात है। लेकिन स्वर विज्ञान के जरिए कोई भी व्यक्ति मनचाही संतान उत्पन्न कर सकता है। ऐसा संभव है। लेकिन इसके लिए स्वर विज्ञान पर आधारित प्रक्रिया को आजमाना होगा।

इसे कहते हैं स्वर विज्ञान

दरअसल, स्वर विज्ञान में स्वर मनुष्य की श्वास को कहा जाता है। स्वर विज्ञान स्वरोदय नाम से प्रचलित है। स्वरोदय का अर्थ है स्वर का उदय होना। नाक के छिद्र से ग्रहण किया जाने वाली श्वास इस विज्ञान के अनुसार स्वर कहलाता है। तो इसी स्वर के चलने की क्रिया को जब उदय होना माना जाता है, तो यह स्वरोदय नामक शब्द की उत्पत्ति करती है।

भविष्य देखने की क्षमता

मान्यता है कि स्वर विज्ञान प्राचीन काल से प्रचलित है और इसके संकेत कभी गलत नहीं जाते। अध्ययन के मुताबिक माना गया कि स्वर विज्ञान मानव जीवन के कई पहलुओं को परख लेता है। किस समय क्या स्वर चल रहा है इससे पता लगाया जा सकता है कि आने वाला समय कैसा रहेगा।

ऐसे देख सकते हैं भविष्य

स्वर विज्ञान के लिए संतान की उत्पत्ति के पहले उसके लिंग के बारे में बताना आसान है। यदि संतान के रूप में कन्या चाहिए तो स्त्री को हमेशा पुरुष के दाहिनी ओर सोना चाहिए। इस स्थिति में स्त्री का दाहिना स्वर चलने लगेगा और पुरुष का बायां स्वर चलने लगेगा। इसके बाद मैथुन (इंटरकोर्स) करने पर यदि गर्भाधान होता है, तो निश्चित ही आपको लड़की संतान के रूप में प्राप्त होगी।

यदि पुत्र चाहते हैं, तो स्त्री को हमेशा पुरुष के बाएं तरफ सोना चाहिए। कुछ देर बाएं करवट लेटने से दायां स्वर और दाहिनी करवट लेटने से बायां स्वर शुरू हो जाता है। ऐसे में दाईं ओर लेटने से पुरुष का दायां स्वर चलने लगेगा और बाईं ओर लेटी हुई स्त्री का बायां स्वर चलने लगेगा।

यदि ऐसा संभव हुआ तो तभी मैथुन करना चाहिए। इस स्थिति में अगर गर्भाधान हो गया तो अवश्य ही पुत्र उत्पन्न होगा। इसके विपरीत नियमों को अपनाएंगे तो संतान के रूप में कन्या मिल सकती है।

नोटः यह आलेख स्वर विज्ञान की विधियों पर आधारित है। जिसका यदि सही विधि से उपयोग किया जाए तभी यह फलित होता है। उक्त विषय के बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी स्वर विज्ञानी विषय विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं। यह आलेख किसी भी तरह से लिंग भेदभाव की बात नहीं करता। हमारा उद्देश्य महज स्वर विज्ञान के पहलुओं से रू-ब-रू करवाना है।

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