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रिजर्व बैंक रेपो रेट में की 0.25 बेसिक पॉइंंट की कमी, कम हो सकती है आपकी EMI

urjit-patel-rbi-repo-rate_04_10_2016नई दिल्ली। नए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मंगलवार को देश में पहली बार नई व्यवस्था के तहत मौद्रिक नीति की घोषणा की। इसके तहत रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की घोषणा की गई है।

इसके पूर्व रेपो रेट 6.50 फीसद था, अब ये घटकर 6.25 फीसद हो गया है। वहीं रिवर्स रेपो भी घटकर 5.75 फीसद पर आ गई है। साथ ही आरबीआई ने जनवरी से मार्च की तिमाही में महंगाई दर 5.3 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है।

उम्मीद की जा रही है कि ब्याज दरों में कटौती होगी और अब लोगों को सस्ते दर पर कर्ज मिल सकेगा। माना जा रहा है कि आरबीआई के इस फैसले के बाद लोगों की ईएमआई में कटौती हो सकती है।

गौरतलब है कि आरबीआई ने पहली बार ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए मौद्रिक नीति समिति की मदद ली थी जिसे हाल ही में सरकार ने अधिसूचित किया था। हाल में गठित रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मंगलवार को अपनी पहली मौद्रिक नीति की समीक्षा की। यह वित्तीय वर्ष 2016-17 की चौथी द्विमासिक समीक्षा है।

इससे पहले मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने दो दिनों के विचार विमर्श के बाद यह तय किया कि इस बार विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती जरूरी है या नहीं।

यह होता है रेपो रेट

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। इसमें कमी होने से बैंकों को कम ब्याज देना पड़ता है। बैंकों का ब्याज कम होने का फायदा आखिकर आम लोगों को होता है।

रेपो रेट कम होने से यह पड़ेगा प्रभाव

होम लोन कम होगा

रेपो रेट में कटौती से होम लोन रेट में कटौती हो सकती है। अगर नया घर लेने का प्लान बना रहे हैं तो आरबीआई का हालिया फैसला आपके लिए राहत भरा है क्योंकि अब आपके होम लोन की ईएमआई पहले के मुकाबले कम होगी।

आर्थिक विकास दर होगी तेज

उपभोक्‍ताओं के ज्यादा खर्च के साथ ही कॉर्पोरेट्स और कन्जयूमर्स के लिए लोन की सुलभता की वजह से आर्थिक विकास दर तेज होने की संभावना है। ऐसा होने पर रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।

बैंकों और कॉर्पोरेट्स को फायदा

बॉन्ड पोर्टफोलियों की वैल्यू बढ़ जाने से बैंकों को फायदा होगा। ब्याज दर कम होने से वित्तीय कंपनियों में मजबूती आएगी। लोन सस्ता होने से कॉर्पोरेट्स को कर्ज भुगतान में सुविधा मिलेगी। उनकी ब्‍याजदर कम होगी, जिससे वे अधिक निवेश कर रोजगार सृजन में भागीदार बन सकते हैं।

कंपनियों की बढ़ेगी इक्विटी

मार्केट के बदले माहौल में कंपनियां इक्विटी बढ़ा सकेंगी, सरकार के विनिवेश की प्रक्रिया की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

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