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रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन को छोड़ना पड़ेगा एक पद

नई दिल्ली (एजेंसी) : रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी को अपना एक पद छोड़ना पड़ेगा। शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी के एक फैसले की वजह से ऐसा होगा। दरअसल, यह असर सिर्फ उन पर नहीं बल्कि शेयर बाजार में लिस्ट कई कंपनियों के चेयरमैन को ऐसा ही करना पड़ेगा। सेबी के फैसले के मुताबिक, नए नियम के तहत अप्रैल 2020 से इन 10 कंपनियों के सीएमडी यानी चेयरमैन और एमडी अपने पास सिर्फ एक ही पद रख सकेंगे।यू कहें तो ये लोग चेयरमैन और एमडी में से एक ही पद अपने पास रख सकेंगे। दूसरा पद इन्हें मजबूरन छोड़ना पड़ेगा। कोटक कमेटी ने ऐसी कंपनियों में एमडी या सीईओ और चेयरमैन के पद को अलग-अलग करने की सिफारिश की थी। सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया सेबी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर कोटक कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। मतलब साफ है कि अब ऐसी कंपनियों में सीएमडी का कोई पद नहीं होगा। बल्कि यह दो अलग-अलग पद होंगे, जो एक व्यक्ति के पास नहीं रहेंगे। भारतीय कंपनियों में प्रमोटर अक्सर चेयरमैन और एमडी दोनों होते हैं। उन्हें लगता है कि कंपनी उनकी है फिर चेयरमैन के तौर पर वह किसी बाहरी शख्स का निर्देश क्यों लें।
सरकार के अधीन आने वाली सेबी की मंजूरी के बाद भी यह सिफारिश अभी दो साल बाद यानी अप्रैल 2020 से लागू होगी। यह फैसला उन टॉप कंपनियों पर लागू होगा जिनकी मार्केट वैल्‍यू सबसे अधिक होगी। कोटक कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चेयरमैन और एमडी की भूमिकाओं के बंटवारे से सारे अधिकार एक व्यक्ति के हाथ में नहीं रहेंगे। इससे कंपनी के परिचालन में बेहतरी आएगी और उसका प्रदर्शन सुधरेगा। रिलायंस इंस्ट्रीज के मुकेश अंबानी और भारती एयरटेल के सुनील मित्तल, विप्रो के अजीम प्रेमजी सहित कई ऐसे बड़े लोग हैं, जिन्हें अब सीएमडी पद छोड़ना पड़ेगा।
कॉरपोरेट कंपनियों में चेयरमैन और सीएमडी की भूमिका अलग-अलग होती है। कंपनी नियमावाली के अनुसार, चेयरमैन कंपनी बोर्ड का नेतृत्व करता है। वहीं, एमडी प्रबंधन का प्रमुख होता है। एमडी रोजमर्रा के ऑपरेशन देखता है। चेयरमैन कंपनी के विजन लॉन्ग टॉर्म ग्रोथ की चिंता करता है। बोर्ड की बैठक में चेयरमैन इसका नेतृत्व करता है। वह मैनेजमेंट से कंपनी के कामकाज से जुड़ा सवाल करता है, मैनेजमेंट के किसी प्रस्ताव का वे समर्थन या विरोध कर सकते हैं या रद्द भी कर सकते हैं। कोटक कमिटी की सिफारिशों में कहा गया है कि एक ही शख्स अगर चेयरमैन और एमडी दोनों की भूमिका निभा रहा है तो मैनेजमेंट से सवाल करने की बोर्ड की आजादी पर अंकुश लगता है। दोनों के अधिकारों में बंटवारा कंपनी को बेहतर तरीके से चलाने में मदद करेगा। इस वक्त एनएसई में लिस्टेड 640 कंपनियों में एक ही व्यक्ति चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर है। अगर कोटक कमेटी की सिफारिशें लागू हो जाती हैं तो इन कंपनियों को इनके रोल बांटने होंगे। भारतीय उद्योगपतियों को लगता है कि अगर उन्होंने अपना कोई पद छोड़ा तो कंपनी से उनका नियंत्रण खत्म हो जाएगा। अगर उन्होंने चेयरमैन का पद छोड़ दिया तो बोर्ड को प्रभावित नहीं कर सकेंगे।

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