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रूस के राष्ट्रपति आज से भारत दौरे पर, एस-400 के बड़े रक्षा सौदे की खरीद तय

नई दिल्ली, मॉस्को। भारत ने रूस में बने लंबी दूरी के एस-400 ट्रिम्फ़ एयर डिफेंस सिस्टम ख़रीदने की पूरी तैयारी कर ली है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसी हफ़्ते भारत पहुंच रहे हैं। कहा जा रहा है कि पुतिन के इसी दौरे में दोनों देश इस सौदे की घोषणा कर सकते हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की मौजूदगी में भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति के लिए इस सप्ताह पांच अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। अमरीका नहीं चाहता है कि भारत रूस से यह रक्षा सौदा करे। पिछले महीने 6 सितंबर को नई दिल्ली में ”टू-प्लस-टू” बैठक में अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और अमरीकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस के साथ भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की बैठक हुई थी। पुतिन की भारत यात्रा से पहले उनके एक सहयोगी ने 3 अक्टूबर को यह बात कही। पुतिन के शीर्ष विदेश नीति सलाहकार युरी उशाकोव ने कहा, ‘राष्ट्रपति आज (4 अक्टूबर) को भारत के लिए रवाना हो रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इस यात्रा की मुख्य विशेषता एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति के लिए समझौते पर दस्तखत करना होगा। करार पांच अरब डॉलर से ज्यादा का होगा।’ भारत अमेरिका से सामरिक व रणनीतिक भागीदारी बढ़ाने के साथ रूस के साथ भी अपने संबंधों को सहेजकर रखने की रणनीति पर चल रहा है। दोनों देशों के बीच यह समझौता बदले हुए वैश्विक हालात में मील का पत्थर साबित हो सकता है। हाल ही में विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘इस दौरे के दौरान राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री मोदी के साथ आधिकारिक वार्ता करेंगे। रुस के राष्ट्रपति (रामनाथ कोविंद) से भी मुलाकात करेंगे।’ रूस उन देशों में शामिल है, जिसके साथ भारत की सालाना द्विपक्षीय वार्ता होती है। दूसरा देश जापान है। भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय संबंध को 2010 में विशेष व विशेषाधिकृत रणनीतिक साझेदारी की ऊंचाई प्रदान की गई। इसी महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भारत-रूस इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन ऑन टेक्नीकल इकोनोमिक को-ऑपरेशन (आईआरआईजीसी-टेक) की 23वीं बैठक में हिस्सा लेने के लिए रूस के दौरे पर गई थीं। बैठक के दौरान भारत और रूस ने 2025 तक 50 अरब डॉलर का दोतरफा निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। भारत और रूस के बीच पिछले साल द्विपक्षीय सालाना शिखर वार्ता एक जून 2017 को मोदी के रूस दौरे के दौरान हुई थी। सूत्रों ने कहा कि मोदी और पुतिन ईरान से कच्चे तेल के आयात पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के असर को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि मोदी तथा पुतिन व्यापार, निवेश, संपर्क, ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं पर्यटन सहित कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग गहराने के तरीके तलाशेंगे।

क्या है एस-400
एस-400 को दुनिया के सबसे प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मनों के मिसाइल हमले को रोकने का काम करता है। कहा जा रहा है कि अगर भारत ने इस सौदे की घोषणा कर दी तो अमरीका के लिए यह बहुत निराशाजनक होगा। एस-400 की एक बैटरी 12 ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर्स से बनती है। कई बार चार और आठ से भी बनाई जाती है। सभी बैटरी में एक फ़ायर कंट्रोल रेडार सिस्टम भी निहित होता है। इसके साथ ही एक अतिरिक्त रेडार सिस्टम होता है और एक एक कमांड पोस्ट भी होता है। एस-400 में मिसाइल दागने की क्षमता पहले से ढाई गुना ज़्यादा तेज़ है। इसके साथ ही यह एक साथ 36 जगहों पर निशाना लगा सकता है। इसके अलावा इसमें स्टैंड-ऑफ जैमर एयरक्राफ़्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग और कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ़्ट है। यह बैलिस्टिक और क्रूज़ दोनों मिसाइलों को बीच में ही नष्ट कर देगा।एस-400 रोड मोबाइल है और इसके बारे में कहा जाता है कि आदेश मिलते ही पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है। यही सारी ख़ूबियां एस-400 को पश्चिम में बने उच्चस्तरीय डिफेंस सिस्टम, जैसे- टर्मिनल हाई एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम (टीएचएएडी) और एमआईएम-104 से अलग बनाती हैं। इसमें वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम होता है जिसे नेवी के मोबाइल प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है। इसमें सिंगल स्टेज एसएएम है जिसका अनुमानित रेंज 150 किलोमीटर है। कहा जा रहा है कि भारत को बिल्कुल आधुनिक एस-400 मिलेगा जिसमें उच्चस्तरीय एसएएम और 40N6E हैं। मुख्य रूप से एस-400 में 40N6E एक मजबूत पक्ष है जो इसकी प्रतिष्ठा को और बढ़ाता है। एस-400 को बनाने वाली कंपनी अल्माज़-एंतये ग्रुप का कहना है कि 40N6E का अधिकतम रेंज 400 किलोमीटर है और यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपने लक्ष्य को भेद सकता है। हालांकि अभी तक यह साफ़ नहीं है कि रूस-भारत में अगर ये रक्षा सौदा फाइनल हो जाता है तो कब तक एस-400 भारत आ जाएगा। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि एस-400 के आने से भारतीय सेना की ताक़त बढ़ेगी। इंस्टीट्यूट फोर डिफेंस स्टडीज एंड एनलिसिस के लक्ष्मण कुमार बेहरा इस रक्षा सौदे के बारे में कहते हैं, ”रूस चीन को एस-400 ट्रिम्फ़ पहले ही दे चुका है। इसके बाद से भारत रूस के साथ इस रक्षा सौदे को अंजाम तक पहुंचाने में लग गया था। यह बहुत ख़ास रक्षा सौदा है और मुझे लगता है कि भारत इसे हासिल करने में अमरीका के सामने नहीं झुकेगा। एस-400 बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम है और इससे बेहतर दुनिया में अभी कोई एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है। इसका ट्रैकिंग रेंज 600 किलोमीटर है और 400 किलोमीटर तक मार कर गिराने की क्षमता है। केवल तीन एस-400 में ही पाकिस्तान की सभी सीमाओं की निगरानी की जा सकती है।

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