उत्तर प्रदेशराज्य

लक्ष्मण पर सियासत का क्या BJP को मिलेगा राजनीतिक फायदा?

राम मंदिर मुद्दा उछालने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 2019 के आम चुनावों से पहले लखनऊ में लक्ष्मण की प्रतिमा को शायद सियासी मुद्दा बनाने के मूड में दिख रही है. लखनऊ के लक्ष्मण का टीला वाला इलाका जो कि अब टीले वाली मस्जिद के नाम से जानी जाती है. वहां, भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण की बड़ी प्रतिमा लगाने पर विवाद छिड़ गया है.

बीजेपी को इस विवाद में 2019 की सियासी फसल में वोट दिखाई दे रहा है तो सपा और बसपा जैसी पार्टियां इस विवाद से खुद को दूर रखना बेहतर समझ रही हैं. लेकिन मुस्लिम मौलानाओं और धर्म गुरुओं की तरफ से आ रहे बयान बीजेपी की सियासत के लिए बेहद मुफीद होते जा रहे हैं.

लखनऊ नगर निगम में बीजेपी का वर्चस्व है. मेयर संयुक्ता भाटिया आरएसएस परिवार से आती हैं. वे लखनऊ के टीले वाली मस्जिद के पास नगर निगम की जमीन पर लक्ष्मण की भव्य प्रतिमा बनाने की हिमायती हैं. इस फैसले पर पहले विवाद होना और अब सियासत होना भी तय है.

बता दें कि बीजेपी के दो पार्षदों रजनीश गुप्ता और रामकृष्ण यादव ने टीले वाली मस्जिद के पास नगर निगम की जमीन पर लक्ष्मण की बड़ी प्रतिमा लगाए जाने का प्रस्ताव रखा तो बीजेपी की मेयर संयुक्ता भाटिया ने इसे खुला समर्थन दे दिया. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने भी इस मामले को गरमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस कड़ी में सबसे पहले टीले वाली मस्जिद के इमाम ने इसका विरोध किया फिर शिया और सुन्नी मौलाना ने यह कह कर विरोध किया कि यहां पर लक्ष्मण की प्रतिमा लगाए जाने से तनाव और विवाद होगा.

गौरतलब है कि लखनऊ को लक्ष्मण की नगरी के तौर पर जाना जाता रहा है, पौराणिक ग्रंथ में इसे लक्ष्मण की नगरी कहते हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता और अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे करीबी माने जाने वाले लालजी टंडन ने अपनी किताब में टीले वाली मस्जिद के नीचे लक्ष्मण की गुफा का जिक्र कर चुके हैं.

हिंदूवादी संगठन पहले से ही टीले वाली मस्जिद को लक्ष्मण की गुफा होने का दावा करते रहे हैं. इतना ही नहीं वे तो मंदिर को ध्वस्त करके वहां मस्जिद बनाने का आरोप लगाते रहे हैं.

हालांकि, नगर निगम लक्ष्मण की प्रतिमा को टीले वाले मस्जिद के इलाके से थोड़ी दूर नगर निगम के बने पार्क या फिर चौराहे पर स्थापित करना चाहता है, लेकिन मुस्लिम मौलानाओं की तरफ से आ रहे बयान बीजेपी को भा रहे हैं. जबकि मुस्लिमों की हितैशी माने जाने वाली समाजवादी पार्टी और बीएसपी इस मामले पर रहस्यमई चुप्पी साध रखी है.

बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला के मुताबिक लखनऊ को लक्ष्मण की नगरी कहा जाता रहा है. वे कहते हैं कि आस्था के तौर पर भी लोग इसे लक्ष्मण की नगरी कहते हैं. ऐसे में अगर यहां नगर निगम की किसी जमीन पर लक्ष्मण की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव किया गया है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है. वहीं बीजेपी की मेयर संयुक्ता भाटिया हर हाल में लक्ष्मण की मूर्ति लगाने पर आमादा है वह कहती हैं कि हालांकि अभी प्रस्ताव पर आखिरी फैसला नहीं हुआ है लेकिन हम मूर्ति जरूर लगाएंगे.

बीजेपी के लक्ष्मण की मूर्ति लगाने को लेकर सियासत होनी तय है. आने वाले कुछ हफ्तों में लखनऊ में लक्ष्मण की प्रतिमा को लेकर विवाद बढ़ सकता है, क्योंकि नगर निगम इसे अपने जनरल बॉडी मीटिंग में जल्द ही पास करेगा.

बता दें कि लखनऊ को लक्ष्मण की नगरी के अलावा लाखन पासी के नगरी के तौर पर भी जाना जाता है. लाखन पासी दलितों के राजा और इलाके के बड़े लड़के के तौर पर मशहूर रहे हैं. जबकि हिंदूवादी लोगइसे लक्ष्मण की नगरी मानते हैं, वही दलित इसे लाखन पासी की नगरी कहते हैं. ऐसे में BJP इस मुद्दे को बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है.

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