दुनिया के सात अजूबों में शामिल है फ्रांस का एफिल टावर। लोहे से बना यह टावर पेरिस की सीन नदी के तट पर कैंप दी मार्स पर स्थित है। यह फ्रांस का दूसरा बड़ा ढांचा है। इसकी सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए इसे बुलेटप्रूफ शीशे की दीवार और स्टील फेसिंग से ढंका जा रहा है।
यह काम जुलाई तक पूरा हो जाएगा। इसपर लगभग 300 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। आतंकी हमले रोकने के लिए पेरिस के प्रमुख स्थलों को सुरक्षित बनाने का काम किया जा रहा है। अब इसका दीदार करने के लिए आने वाले लोगों को तीन स्तरीय जांच के बाद ही एंट्री मिलेगी। बता दें कि 2015 से पेरिस में हुए आतंकी हमलों में 240 लोगों की मौत हो गई थी।
टावर के दोनों तरफ मेटल के बैरियर लगाए जा रहे हैं जिनकी ऊंचाई लगभग 3.24 मीटर है। इससे आतंकी यदि ट्रक के जरिए भी आते हैं तो वह इसकी दीवार को नहीं भेद पाएंगे।
टावर पर लगाई जा रही शीशे की दीवार 2.5 इंच चौड़ी है। वहीं 10 फीट ऊंची दीवार के एक पैनल का वजन 1.5 टन है। दीवार से पहले इसमें 240 ब्लॉक लगाए गए हैं। जानें क्यों खास है एफिल टावर।
फ्रांसीसी क्रांति के सौ साल पूरे होने के अवसर पर 26 जनवरी, 1887 को पेरिस के एफिल टावर की नींव रखी गयी थी। एफिल टावर को 1887 से 1889 के बीच बनाया गया। इसे साल 1889 में हुए विश्व व्यापार मेले में प्रदर्शनी के लिए रखा गया था। जहां इसके डिजायन की कई विशेषज्ञों ने आलोचना की तो कई लोगों ने प्रशंसा भी की थी।
एफिल टावर की रचना गुस्ताव एफिल के द्वारा की गई है जो पेशे से इंजीनियर थे। उन्हीं के नाम पर इसका नाम एफिल टावर पड़ा है। अपने निर्माण के समय यह दुनिया का सबसे टावर था।
टावर 324 मीटर (1063 फीट) लंबा है। इसकी ऊंचाई 81 मंजिला ईमारत के बराबर है। तीन मंजिला यह टावर पर्यटकों के लिए सालभर खुला रहता है।
उस समय की योजना के अनुसार केवल बीस साल के लिए ही पेरिस में एफिल टावर रहने की अनुमति दी गयी थी। यानी की 1909 में तय समय-सीमा पूरी हो जाने के बाद इसे गिरा दिया जाना था। लेकिन बीस सालों में टावर की लोकप्रियता ऐसी बढ़ी कि इसे गिराने का विचार रद्द कर दिया गया।
2015 में हुए एक सर्वे के अनुसार एफिल टावर को दुनिया में सबसे ज्यादा लोग देखने आते हैं। दुनियाभर से लगभग 6.91 मिलियन लोग हर साल एफिल टावर देखने के लिये आते हैं।
साल 1921 में एफिल टावर से ही फ्रांस का पहला रेडियो प्रसारण हुआ था।